Drishyam, ek chudai ki kahani-45

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series औरत मर्दों से ऊँची है, सारे संसार की द्योति है। कमजोर नहीं चुदवाते हुए चूँकि वह निचे सोती है। माँ, बहन, बेटी, पत्नी बनकर बोजा सारा वह ढोती है, सारा संसार करे रोशन ऐसी वह प्रेम की ज्योति है। मैंने अर्जुन और रमेश … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-44

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series “हे मेरी सुख दायिनी, हे मेरी निजजन – शुद्धिकरण कर मैं तुम्हें करता हूँ अर्पण। अब तक तुम बस थी मेरी हरदम मेरे साथ अब मैं उसके हाथ में दूंगा तेरा हाथ। प्यार करूंगा मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा साथ पर जब उसके संग … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-39

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series ना डरना ओ मेरे राही अगर राहों में भटके हो। यदि हो चाह मंजिल की तो रास्ते मिल ही जाते हैं। ना हो मुश्किल जो राहों में सफर का क्या मज़ा साहिल, लगादें जान जो अपनी वही मंजिल को पाते हैं। यदि आपके … Read more