Drishyam, ek chudai ki kahani-46

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series चुदवाने को बेताब हो फिर भी मनाना है तुझे, गोरे बदन से प्यार से कपडे हटाना है तुझे। क़दमों में गिर कर गिड़गिडा चुदवाने को तैयार कर, लण्ड को तेरे चूत में उसीकी फिर घुसाना है तुझे। नंगे बदन और चूत के जलवे … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-45

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series औरत मर्दों से ऊँची है, सारे संसार की द्योति है। कमजोर नहीं चुदवाते हुए चूँकि वह निचे सोती है। माँ, बहन, बेटी, पत्नी बनकर बोजा सारा वह ढोती है, सारा संसार करे रोशन ऐसी वह प्रेम की ज्योति है। मैंने अर्जुन और रमेश … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-44

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series “हे मेरी सुख दायिनी, हे मेरी निजजन – शुद्धिकरण कर मैं तुम्हें करता हूँ अर्पण। अब तक तुम बस थी मेरी हरदम मेरे साथ अब मैं उसके हाथ में दूंगा तेरा हाथ। प्यार करूंगा मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा साथ पर जब उसके संग … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-41

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series बाँहों में नंगी कर के वह जब चोदेगा मुझ पर चढ़ कर, चूत में घुस कर फाड़ेगा जब तब मुझको है मरने का डर। चूत मेरी सुई की आंख सम लण्ड उसका है जैसे अजगर, अगर मुझे मारना ही है तो फिर जो … Read more