पिछला भाग पढ़े:- दीदी की सुहागरात के बाद मेरी चुदाई-2
नमस्कार दोस्तों, मैं रोशनी अपनी पहली चुदाई की कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाजिर हूं। उम्मीद है आप सब ने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा, और आपको मजा भी आया होगा। जिन लोगों ने अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, वो पहले उसको ज़रूर पढ़ ले।
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, कि दीदी और जीजू की सुहागरात शुरू हो चुकी थी, और में उनके कमरे के रोशनदान से उनकी चुदाई का लाइव नज़ारा देख रही थी। जीजू ने दीदी को जबरदस्त तरीके से पेला, और उनकी कुंवारी चूत फाड़ दी। फिर वो उनके ऊपर ही लेट गए। फिर जब जीजू उठे, तो उनकी नज़र मुझ पर पड़ गई। इससे मेरी गांड फट गई, और मैं जल्दी से नीचे हो कर अपने कमरे की तरफ भागी। अब आगे-
मैं अपने कमरे में आके बिस्तर पर बैठ गई। मेरी धड़कने बहुत तेज चल रही थी। मुझे जीजू ने देख लिया था, और अब पता नहीं क्या होने वाला था, ये सोच कर मुझे टेंशन हुई जा रही थी। फिर मैं ऐसे ही कुछ देर बिस्तर पर लेटी सोचती रही। मुझे लगा जीजू मुझे कुछ बोलने या पूछने जरूर आयेंगे। एक घंटा बीत गया। जब कुछ नहीं हुआ, तो मुझे लगा शायद उन्होंने मुझे देख ही नहीं था। फिर मैं बेफिक्र हो कर सो गई।
मेरे सोने के तकरीबन एक घंटे के बाद मेरी नींद खुली। मुझे अपने पैरों पर कुछ महसूस हो रहा था। जब मैंने नीचे देखा, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। नीचे जीजा जी पूरे नंगे थे, और मेरे पैरों को चूम रहे थे। मैं तुरंत उठ खड़ी हुई, और बोली-
मैं: जीजू, ये आप क्या कर रहे हो?
जीजू: पहले तुम बताओ कि तुम हमारे कमरे के बाहर खड़ी हो कर क्या कर रही थी?
उनकी इस बात को सुन कर मैं घबरा गई। मेरी बोलती बंद हो गई।
फिर जीजू बोले: कोई बात नहीं, जवानी में दिल करता ही है ये सब देखने को। किसी के साथ जिस्मानी संबंध बनाने को। मैं तुम्हारी प्यास शांत करने आया हूं तुम्हारे पास।
मैं: ये आप क्या बोल रहे हो जीजू? मैं आपकी साली हूं।
जीजू: हां मैं जानता हूं। तुम मेरी साली, आधी घर वाली हो। तुम्हारी दीदी को तो मैंने आज लंड का स्वाद दे दिया है। अब तुम्हारी बारी है।
ये कह कर जीजू ने मेरी जांघ को दबा दिया।
मैं: नहीं मुझे नहीं चाहिए लंड का स्वाद।
जीजू: लेकिन मुझे तो तुम्हारी चूत चाहिए ना। तुमने मुझे नंगा देखा है। मुझे भी हिसाब बराबर करना है। अगर तुमने नहीं करने दिया, तो मैं सब को बोल दूंगा कि तुम हमारे कमरे के बाहर खड़ी रह कर हमारी सुहागरात देख रही थी। हॉल में कैमरा लगा हुआ है, उस पर सब रिकॉर्ड भी हुआ होगा। तो तुम मुकर भी नहीं पाओगी। इससे तुम्हारे घर की इज़्ज़त उतर जाएगी।
मैं: आप ऐसा मत करना जीजू।
जीजू: तुम अपने कपड़े उतारो, और खुद को मुझे सौंप दो सिर्फ आज रात के लिए। मैं कुछ नहीं करूंगा, और रिकॉर्डिंग भी डिलीट कर दूंगा।
अब मैं कुछ बोल नहीं रही थी, और जीजू ने मेरी खामोशी को मेरी हां समझ कर मेरे पैरों को चूमना शुरू कर दिया। मुझे अजीब सा महसूस हो रहा था। फिर वो ऊपर आए, और मेरे पजामे के ऊपर से मेरी जांघों को चूमने लगे। मुझे उनका मोटा लंड खड़ा हुआ दिख रहा था।
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे पीछे धकेला, जिससे मैं लेट गई। फिर उन्होंने मेरे पजामे को पकड़ा, और नीचे खींचने लगे। मैंने उनका कोई साथ नहीं दिया, लेकिन फिर भी उन्होंने पजामा खींच कर उतार दिया। नीचे मेरी पैंटी पहले से गीली थी, क्योंकि मैंने बदली नहीं थी। गीली पैंटी देख कर उन्होंने मेरी तरफ देखा, और मुस्कुराए। मैंने उनसे आँखें चुरा ली।
फिर जीजू पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को चाटने लगे। इससे मेरे जिस्म में करेंट सा दौड़ने लगा, और मेरी सांसे तेज़ हो गई। फिर उन्होंने पैंटी नीचे की, और अब मेरी नंगी चिकनी चूत उनके सामने थी। जीजू ने मेरी पैंटी को टांगों से खींच कर निकाल दिया, और चूत की फांकों को खोल कर उसमें जीभ डालने लगे। इससे मैं उत्तेजित होने लगी। मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मैं तो पहले से ही बहुत गरम हुई पड़ी थी, तो कितनी देर खुद को रोकती?
जीजू पागलों की तरह मेरी चूत चाटते रहे। अब मेरे सब्र का बांध टूट गया, और मैं उनके सर पर हाथ रख कर उसको चूत में दबाने लगी। मैंने सोचा चुदाई तो होनी ही थी, तो क्यों ना पहली चुदाई का मज़ा लूं। मेरे जीजू के सर पर हाथ रखते ही वो समझ गए कि अब मैं तैयार थी।
फिर जीजू ऊपर आए, और टी-शर्ट और ब्रा ऊपर करके मेरे चूचे बाहर निकाल लिए। मेरे निपल्स खड़े हो चुके थे। जीजू जोर-जोर से मेरे निपल्स चूसने लगे। मैं आह आह आह की आवाजें निकाल रही थी। फिर वो ऊपर आए। अब हम दोनों के चेहरे एक-दूसरे के सामने थे। हमारी नज़रें मिली हुई थी, और होंठ एक होने के लिए तरस रहे थे। जीजू ने अपने होंठ आगे बढ़ाए, और मैंने भी उनके होंठों का स्वागत किया। हम दोनों पागलों की तरह किस्स करने लगे।
किस्स करते हुए वो मेरे चूचे भी दबा रहे थे। नीचे से जीजू का लोहे की रॉड जैसा लंड मेरी चूत पर टकरा रहा था। उन्होंने किस्स करते हुए ही अपना लंड हाथ में लेके चूत पर सेट किया, और धक्का मार दिया। इससे मैं कांप गई, और मुझे बहुत दर्द होने लगा। उनके किस्स की वजह से मेरी आवाज निकल नहीं रही थी। जीजू धक्के पे धक्का मारते गए, और पूरा लुंड चूत में घुसा कर रुक गए। मेरी तो सांस ही बंद हो चली थी, इतना दर्द हो रहा था। मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
कुछ देर जीजू वैसे ही रुके रहे, और मेरे होंठ और चूचे चूसते रहे। थोड़ी देर में मेरी हालत जब कुछ ठीक हुई, तो वो धीरे-धीरे धक्के देने लगे। कुछ धक्कों के बाद मुझे मजा आने लगा, और मेरे मुंह से ह्म्म्म ह्म्म्म की आवाजें आने लगी। फिर जीजू ने मेरे होंठ छोड़े, और गर्दन चूमते हुए तेज़ी से धक्के मारने लगे। अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैंने जीजू को अपनी बाहों में भर लिया, और गांड उठा-उठा कर उनका साथ देने लगी।
कुछ देर में हम दोनों पागलों की तरह चुदाई कर रहे थे। फिर जीजू ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से चोदने लगे। इससे लंड मेरी चूत की अंदर की दीवार तक जा रहा था। बहुत मजा आ रहा था। मेरी चूत धड़ाधड़ पानी छोड़ रही थी। फिर आखिरकार मेरा गाढ़ा माल निकलने लगा, और मेरा जिस्म ठंडा हो गया। जीजू ने भी लंड बाहर निकाला, और मेरी गांड पर झड़ गए। फिर वो चले गए, और मैं वैसे ही नंगी पड़ी रही।
ये जीजू के साथ मेरा पहला और आखिरी सेक्स था। इसके बाद हमने दोबारा नहीं किया, लेकिन उस रात की याद आज भी मेरे ज़ेहन में ताजा है।
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