दीदी की सुहागरात के बाद मेरी चुदाई-2 (Didi ki suhagraat ke baad meri chudai-2)

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पिछला भाग पढ़े:- दीदी की सुहागरात के बाद मेरी चुदाई-1

नमस्कार दोस्तों, मैं रोशनी अपनी पहली चुदाई की कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाजिर हूं। उम्मीद है आप सब ने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा, और आपको मजा भी आया होगा। जिन लोगों ने अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, वो पहले उसको ज़रूर पढ़ ले।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, कि मेरी दीदी की शादी हो चुकी थी, और रिवाज़ के मुताबिक मुझे भी उसके ससुराल 2 दिन के लिए जाना था। दीदी की सुहागरात के वक्त मैं गरम हो गई, और मेरी उसकी सुहागरात देखने की इच्छा हो गई। फिर मैं दीदी-जीजू के कमरे के बाद स्टूल पर खड़ी हो कर रोशनदान से अंदर देखने लगी। कुछ बातें करने के बाद दीदी और जीजू के होंठ आपस में मिल गए। अब आगे की कहानी-

जीजू मेरी दीदी के होंठों का रस पी रहे थे, और उनकी पीठ पर हाथ फेर रहे थे। दीदी भी जीजू का पूरा साथ दे रही थी। पीठ पर हाथ फेरते हुए जीजू ने दीदी की चोली की डोरी खोल दी। इससे दीदी की चोली पीछे से खुल गई, और उनकी पीठ नंगी हो गई। दीदी ने नीचे लाल रंग की ब्रा पहनी थी, जिसका स्ट्रैप पीछे से नज़र आ रहा था।

अब जीजू किस्स करते हुए दीदी की नंगी पीठ पर हाथ फेर रहे थे। फिर जीजू ने दीदी की ब्रा का स्ट्रैप भी खोल दिया। उसके बाद दोनों की किस्स टूटी। दोनों हाफ रहे थे। जीजू ने दीदी को फिर से बाहों में भरा, और उनकी गर्दन पर किस्स करने लगे। गर्दन पर किस्स करते हुए वो उनके कंधे पर किस्स करने लगे, और ब्लाउज को हटाते गए।

जीजू ने दीदी का ब्लाउज उनके कंधों तक ला दिया, और उसके बाद उसको निकाल दिया। अब दीदी खुली हुई ब्रा में उनके सामने थी। दीदी के गोरे-गोरे चूचे डीप क्लीवेज बना रहे थे। फिर जीजू ने दीदी की ब्रा को सामने से पकड़ा, और उसको भी उनके शरीर से अलग कर दिया। अब दीदी जीजू के सामने ऊपर से पूरी नंगी थी।

जीजू दीदी के करीब गए, और उनके चूचों को पकड़ कर मसलने लगे। फिर उन्होंने एक चूचे का निप्पल अपने मुंह में डाला, और उसको चूसना शुरू कर दिया। इससे दीदी के जिस्म में कुछ झटका सा लगा, और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली। उनको ऐसे देख कर बाहर खड़े हुए मेरे शरीर में करेंट दौड़ रहा था, तो उनको तो झटके लगना लाज़मी था।

जीजू दीदी के एक चूचे को चूसते, और दूसरे को दबाते। दीदी की सांसे तेज़ थी, और वो जीजू के सर को अपने चूचों में दबा रही थी। फिर जीजू ने दीदी को लिटा दिया। दीदी के निप्पल जीजू के चूसने से लाल हो चुके थे। फिर जीजू ने अपनी शेरवानी उतारी और अब वो सिर्फ अंडरवियर में थे।

जीजू दीदी के ऊपर आए, और उनके पेट को चूमने लगे। वो अपनी जीभ से उनके पेट को चाटने लगे, और चाटते हुए जीभ को दीदी की नाभि में डालने लगे। दीदी को जीजू की जीभ का एहसास बहुत मजा दे रहा था। जब भी जीजू दीदी की नाभि में जीभ डालते, तो दीदी कांप जाती थी।

कुछ देर दीदी का पेट चूमने-चाटने के बाद जीजू और नीचे जाने लगे। अब जीजू ने दीदी के लहंगे को कमर से ढीला किया, और उसको साइड से पकड़ कर नीचे करने लगे। दीदी ने भी अपनी कमर उठा दी, ताकि जीजू को लहंगा उतारने में कोई दिक्कत नहीं आए। जीजू ने नीचे खींच कर दीदी का लहंगा उनके जिस्म से अलग कर दिया। अब दीदी सिर्फ रेड पैंटी में थी। दोनों नए पति-पत्नी अब अपने अंडरवियर में थे। दीदी पैंटी में बहुत कामुक लग रही थी। जीजू भी कुछ कम नहीं थे। वो भी हैंडसम हंक लग रहे थे।

फिर जीजू ने दीदी की टांगों को चूमना शुरू किया, और जांघों पर आ कर उनको चूमने के साथ-साथ चाटने और मसलने भी लगे। दीदी लेटी हुई बस कामुक आहें भर रही थी। मैं देख पा रही थी कि दीदी की लाल रंग की पैंटी उनकी चूत वाली जगह से गीली हो चुकी थी। अब वो गीली क्यों हो गई थी, ये बताने की तो कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए।

जांघों को चाटते-चूमते जीजू ने दीदी की पैंटी को पकड़, और नीचे कर दिया। नीचे से दीदी की पिंक रंग की एक-दम चिकनी चूत जीजू के सामने आ गई।

दीदी की चूत बिल्कुल किसी ताज़ी पेस्ट्री की तरह लग रही थी, जिसको देखते ही जीजू के मुंह में पानी आने लग गया। जीजू ने फिर अपना मुंह दीदी की चूत पर लगा दिया, और उसको चाट कर उसके स्वाद लेने लगे। दीदी तो जैसे जीजू की जीभ चूत पर लगते ही पागल सी होने लगी। उसका हाथ जीजू के सर पर आ गया, और वो उनके बालों को सहलाते हुए उनके सर को चूत में दबाने लगी।

कुछ देर जीजू ने अच्छे से दीदी की चूत को चूसा। फिर उन्होंने अपना अंडरवियर उतारा, तो उनका बड़ा मोटा लंड बाहर आ गया। मैं जीजू का लंड देख कर हैरान हो गई। उसका साइज देख कर मुझे डर लग रहा था कि पता नहीं दीदी की कुंवारी चूत इसको कैसे सह पाएगी।

फिर जीजू दीदी के ऊपर आ गए, और उनके मुंह के पास अपना लंड करके गांड उनके चूचों पर टिका ली। दीदी ने जीजू की इच्छा समझते हुए अपना मुंह खोल दिया, और साथ ही जीजू उनके मुंह में लंड डाल कर उनका मुंह चोदने लगे। पहले-पहले तो उन्होंने धीरे से उनके मुंह को चोदा। लेकिन फिर तेजी से दीदी के मुंह में लंड अंदर बाहर करने लगे। इससे दीदी की सांस रुकने लगी।

जब जीजू का लंड दीदी की थूक से चिकना हो गया, तो जीजू नीचे दीदी की टांगों के बीच आए, और उनकी कुंवारी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगे। दीदी की ये पहली चुदाई थी, और वो इसकी लिए बहुत उत्सुक थी।

फिर जीजू ने चूत में धक्का मारा, और लंड आधा अंदर चला गया। दीदी झटपटाने लगी, लेकिन जीजू ने उनको कस कर पकड़ लिया, और धक्के पेलते हुए पूरा लंड अंदर घुसा दिया। दीदी तड़प रही थी, लेकिन जीजू उनके होंठ चूसने लगे, और चूचे दबाने लगे।

कुछ देर में दीदी नॉर्मल हुई, तो जीजू उनकी चुदाई करने लगे। अब दीदी भी मजे में आ गई थी, और वो भी आह आह करके चुदने लगी। थोड़ी देर में दीदी खुद गांड उठा-उठा कर चुदवाने लगी। उनकी चूत बहुत पानी छोड़ने लगी, जिससे कमरे में चप चप की आवाजें आ रही थी।

कुछ देर की चुदाई के बाद जीजू ने लंड दीदी की चूत से निकाला, और उसको घोड़ी बनने को कहा। दीदी घोड़ी बन गई, और जीजू उनको पीछे से पेलने लगे। ऐसे ही जीजू ने आधा घंटा दीदी को चोदा। फिर अपना माल उनकी चूत में निकाल दिया। उसके बाद दीदी बेड पर उल्टी ही लेट गई, और जीजू उनके ऊपर लेट गए।

फिर जब जीजू उठे, तो उनकी नज़र मुझ पर पड़ गई। इससे मेरी गांड फट गई, और मैं जल्दी से नीचे हो कर अपने कमरे की तरफ भागी।

आगे की कहानी अगले पार्ट में। फीडबैक [email protected] पर दें।

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