पिछला भाग पढ़े:- मल्लिका मेरी जान (आंटी की बहू)-1
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि किस तरीके से मैं आंटी की चूत मार रहा था, और मल्लिका की एंट्री होती है। अब आगे-
आंटी बेडरूम से बड़ी बेशर्मी से मुस्कुराते हुए आ रही थी, वो भी पूरी नंगी अपनी ही ब्रा से अपनी चूत साफ करते हुए।
आंटी: देख मल्लिका, मुझे सब पता है। मैंने कई बार तुझे रोते हुए तेरी बहन से बात करते सुना था कि मेरा बेटा तुझे खुश नहीं रखता, और जल्दी खत्म हो जाता है। महीने में एक दो बार बस तुम लोगों में नाम की चुदाई होती है।
मल्लिका: तो क्या हुआ? मैं आपकी बहु हूं। और आप मुझ से ऐसी बाते कर रहीं है। आप को शर्म आनी चाहिए!
और यहां मैंने अपना खेल शुरू कर दिया था। मैंने अपनी जुबान को मल्लिका की चूत पे रख कर चाटना शुरू कर दिया। दोस्तों क्या बताऊं मल्लिका का की चूत किसी ज्वालामुखी से कम गरम नहीं थी। उसकी चूत के पानी का स्वाद बहुत टेस्टी था।
अब थोड़ा तुम्हें मल्लिका के बारे में बताऊं। 5 फुट 8 इंच ऊंचाई, सावली, घुंघराले बाल, बड़ी-बड़ी काली आंखे, 34″ के मम्मे, बड़ी गांड की मालकिन और ऊपर से बंगालन की लव मैरेज थी आंटी के लड़के के साथ। तो बढ़ते है स्टोरी की ओर-
मैं अब मल्लिका की दोनों गांड कस के पकड़ कर उसकी चूत पर जुबान चला रहा था। कभी उसकी चूत के दाने पर जुबान घुमा रहा था, तो कभी चूत के अंदर तक जुबान डाल कर पागलों की तरह जुबान चला रहा था। मल्लिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है।
मल्लिका: ओह भाई मुझे छोड़ दे। आह, मैं ऐसी औरत उफ्फ आह नहीं हूं। तुम्हे मेरी आह सास चोदनी है, चोदो कभी भी, आह आह लेकिन मुझे जाने दो।
आंटी: हाय रे रंडी, मुझे तू चुदवाएगी इस हरामी के साथ? साली छिनार! तू मुझे लौड़ा दिलाएगी (आंटी ने मल्लिका का एक मम्मे को मसलते हुए कहा)? अपनी इस चूत के दम पर इसका लौड़ा लिया है। दिलीप मार इसकी चूत, बहुत बोल रही है साली रंडी।
मल्लिका: नहीं मम्मी ऐसा आह आह मत बोलो। जरा धीरे भाई आह आह।
अब ये बात भी सच थी के अपनी सास की गरमा गर्म चुदाई देख कर मल्लिका की चूत भी गीली हो गईं थी। उसे भी अब अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिए लवड़ा चाहिए था। लेकिन एक-दम खुल कर वो लौड़ा मांग भी नहीं सकती थी। हो सके उतना कंट्रोल करो, अगर बर्दास्त नहीं हुआ तो टांगे खोलने में मल्लिका को कोई हर्ज नहीं था।
मैं नीचे मल्लिका की चूत की गहराइयों में अपनी जुबान चला रहा था, और अब मल्लिका की अकड़ और मेरे बालों पे पकड़ ढीली हो रही थी। वह अब सिसकियां लेते हुए अब मेरे बालों को आंखे बंद कर के सहला रही थी, और ये सब आंटी देख कर मुस्करा रही थी।
आंटी: देख मल्लिका तुझे भी एक दमदार लौड़े की जरूरत है, और मुझे भी। क्यूं ना हम दोनों दिलीप के लौड़े को अपना गुलाम बना कर हम सास बहु जिंदगी के मजे ले? ना कोई रोक ना कोई झिझक, बस चूत की चुदाई होते रहनी चाहिए।
यह बोल कर आंटी बाथरूम चली गई।
मल्लिका: आह मम्मी उफ्फ और चाट आह मम्मी। लेकिन एक साथ हम आह आह तीनों, मुझे तो आह शर्म आएगी। उई मां आह उफ्फ उफ्फ।
और फिर मल्लिका ने मेरे सिर को अपनी चूत में दबा दिया। उसका पानी निकल रहा था। क्या स्वाद था उसके पानी का। मल्लिका किसी रंडी की तरह खड़े-खड़े मेरे मुंह को अपने चूत से चोद रही थी।
अब तो मल्लिका भी हमारी टीम में शामिल हो गई। मैंने मल्लिका को खड़े हो कर किस्स किया, और एक-दूसरे की जुबान चूसने का कॉम्पटीशन शुरू हो गया। मैं तो उसका कुर्ता निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह इतना टाइट था कि मम्मों के ऊपर वह जा ही नहीं रहा था। मैंने उसी वक्त गले से कुर्ते को पूरा फाड़ दिया, और ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मे चूसने लगा। वह पागलों की तरह मेरे मुंह को मम्मों पे दबा रही थी। मैं उसकी एक साइड से ब्रा ऊपर करके उसके बड़े मम्मे का वह छोटा काला निप्पल मुंह में लेकर चूस रहा था, और वो भी किसी रंडी की तरह अपने मम्मे मेरे मुंह में ठूस रही थी।
मैंने उसे अपने बाहों में उठाया, और सोफा कम बेड पर लिटा दिया। क्या लग रही थी तब मल्लिका। पसीने से भीगा बदन, खुले घुंघराले बाल, गले में मंगलसूत्र। कुर्ता फटे होने के कारण दोनों और बटे हुए अंदर काली ब्रा, उसमें से एक मम्मा बाहर, एक ढका हुआ, जांघों तक पायजामा, और उतना ही नीचे हुई उसकी लाल पैंटी, और खूबसूरत चिकनी चूत। उसमें से उसका आता मोतियों की तरह पानी, और उस पानी की खुशबू। मेरे लौड़े में तनाव आना शुरू हो गया, बस अब इसे चोदना है। अब किसी भी हालत में इसे रंडी बना कर चोदना है, यह खयाल मेरे लौड़े को और मजबूती से खड़ा कर रहा था।
मल्लिका: अब जब इतना हो ही गया है तो शर्म गई मां चुदाने। दिलीप भाई मेरी एक फेंटेसी है कि कोई मेरी चुदाई एक-दम जानवरों की तरह करें। मुझ पर थोड़ी भी दया ना करें। फुल वाइल्ड सेक्स जैसे तुम मम्मी के साथ करते हो, एक-दम वैसे।
मैंने उसके कुर्ते और पायजामे को पैंटी के साथ निकाल दिया। अब वो बस ब्रा में थी। वह जब ब्रा उतारने लगी, तब मैंने उसे रोक दिया और बोला-
मैं: रहने दे, तुझे ऐसे ही चोदूंगा।
तब तक आंटी अपनी चूत तोलिये से साफ करते हुए बाहर आ गई, और पास की कुर्सी पे बैठ कर अपनी चूत में नारियल तेल लगा कर हवा दे रही थी। आखिर थी तो बुढ़िया, जोश-जोश में चूत तो चुदवाई लेकिन उसका असर बाद में दिखता है जब चूत शांत हो जाए।
मैंने अपने तने हुए लौड़े को मल्लिका के होंठों पर रखा और उसे निगलने का इशारा किया। वह भी किसी रंडी की तरह मेरे लौड़े को लपक से मुंह में भर कर चूसने लगी। वाह क्या मजा आ रहा था। लौड़ा उसके मुंह के अंदर-बाहर जा रहा था। वो ग्लोप-ग्लोप करके मेरा लौड़ा चूस रही थी।
अब उसे मैंने घुटने के बल बिठा कर उसके मुंह में लौड़ा ठुस दिया, और उसके मुंह की चुदाई करने लगा। वह भी किसी रांड की तरह मेरा लौड़ा चूस रही थी। मैं कमर हिला-हिला कर उसके गले तक लौड़ा उतार रहा था। क्या नजारा था, मल्लिका मेरा लौड़ा चूस रही थी, और उसकी बाजू वाली कुर्सी पे उसकी सास पूरी नंगी अपनी चूत में नारियल तेल लगा रही थी।
आंटी: बड़ी नाटक कर रही थी। तना हुआ लौड़ा देख कर आखिर तेरे मुंह में पानी आ ही गया। मुझे पता था तू एक नंबर की चुदक्कड़ है। बस तुझे लंड का जुगाड़ करना था, जो आज हो गया। दिलीप पूरा लौड़ा डाल इसके मुंह में साली रंडी।
मैं: हां आंटी, अब तो साली चुदे बिना मानेगी नहीं। उफ्फ क्या लौड़ा चूस रही है हरामजादी।
मैंने मल्लिका को उठा कर बेड के सहारे घोड़ी बनाया, और पीछे से उसकी चूत को झुक कर चाटने लगा। उसकी काली चूत की पंखुड़ियां के बीच में से उसका चूत का दाना लटक रहा था, और उसमें से टप टप करते उसकी चूत का पानी मेरी जुबान पे गिर रहा था, एक-दम टेस्टी और गरम। वो तो पागल हो गई थी। उसने कभी सोचा नहीं था कि किसी पराए मर्द को अपनी चूत चटवाएगी, वो भी अपने सगी नंगी सास के सामने।
मल्लिका: बस कर हरामी, आह, अब तो लंड के मजे दे। उफ्फ आह, बस कर।
मैं नीचे से उठ कर उसके पीछे आ गया और उसकी कमर पकड़ के अपने लौड़े को उसकी चूत के पास ले आया। अब मल्लिका अपनी चूत में बस लौड़ा लेना चाहती थी। वो अपना हाथ नीचे से पीछे ले गई। मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे लगा दिया।
मल्लिका: अब चोद इसे, बहुत दिनों से ये प्यासी है।
मैंने एक झटका मारा, मेरा आधा लंड उसकी चूत में फंस गया। मल्लिका दर्द से सिहर उठी।
मल्लिका: आह आह, आराम से, मेरी चूत ले रहा है या मेरी जान? उफ्फ उफ्फ आह आह हाय मार दिया।
मैं: मादरचोद रंडी, तू इतनी टाइट है आह आह मुझे लगा नहीं था! वाह मजा आ गया।
और ये बोल कर पूरा लंड बाहर निकाल के एक ही बार में उसकी चूत में भर दिया। मल्लिका चिल्ला उठी। उसे दर्द हो रहा था। वो झटपटाने लगी, और वो मुझे गालियां दे रही थी, और अपना हाथ पीछे ले जा कर मेरे लंड बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैं कहा रुकने वाला था। मैं वैसे ही उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था।
मैं: आंटी आह जरा यहां आ जाओ। मस्त चूत है मल्लिका की हाय, उफ्फ, इसके सामने लेट जाओ, और इसके मुंह में अपना मुंह डाल कर जरा उफ्फ चुप करवाओ। आह मेरी मल्लिका रांड, तूने तो मुझे जन्नत घुमा दिया।
आंटी के लिए ये नया एक्सपिरियंस था, जो वो छोड़ना नहीं चाहती थी। वह झट से मल्लिका के नीचे आ गई और अपनी जांघों से उसकी जांघों को जकड़ लिया। फिर बुढ़िया ने अपना मुंह उसके मुंह में डाल कर उसे अपनी छाती से चिपका दिया।
बिस्तर पर आंटी नीचे, बीच में मल्लिका, और पीछे मैं उसे चोद रहा था। जैसे-जैसे मेरे लौड़ा मल्लिका के चूत में आगे-पीछे हो रहा था, वैसे उसकी चूत और मेरा लंड आंटी की चूत से रगड़ रहा था। अब मल्लिका की चूत में मेरा लंड लेने की जगह बन गई थी। अब मल्लिका भी मजे लेने लगी। अपने मुंह को आंटी के मुंह से छुड़ा कर गालियां दे रही थी अपनी सास को।
मल्लिका: उम्म आह साली ललिता छिनार! उफ्फ आउच बहुत मजे उम्म लिया तूने ऐसे लंड से आह। आज अगर उफ्फ उफ्फ धीरे देखती नहीं, तो आह धीरे ऐसा लंड नहीं मिलता मुझे। आउच, तेरा बेटा तो नामर्द है साला, जिंदगी झाट बना कर रखा था।
आंटी: साली रंडी अपने सास के सामने पराया लंड ले रही है, और मेरे बेटे की बदनामी कर रही है हरामजादी।
ये बोल कर उसने मल्लिका के दोनों मम्मे जोर से मसल दिए। मल्लिका तो चिल्ला उठी। उसे लगा नहीं था कि उसकी सास ऐसा कुछ करेगी।
मल्लिका: दिलीप आह आह उफ्फ उफ्फ प्लीज़ मुझे छोड़ एक उई आह मिनट के लिए। उफ्फ इस बुढ़िया को मजा चखाती हूं अभी।
मैं भी मजा देखना चाहता था कि मल्लिका क्या करेगी। इसलिए मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला। मेरा पूरा लंड मल्लिका के पानी से भरा हुआ था। जब मेरा लंड उसकी चूत से निकला, मल्लिका की चूत से पानी निकल कर आंटी की चूत में जा गिरा। एक चूत से दूसरी चूत में पानी बह रहा था।
मल्लिका झट से उठ कर आंटी के मुंह पर बैठ गई, और अपनी चूत आंटी के मुंह पर रगड़ रही थी। दोनों हाथों से आंटी के दोनों हाथों से जकड़ कर, आगे झुक कर, मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसते हुए आंटी के मुंह को अपनी चूत से चोदे जा रही थी। अब मैं समझा मल्लिका को वाइल्ड स्टाइल क्यू पसंद था। आंटी नीचे घू-घू करके आवाज निकाल रही थी। लेकिन मल्लिका रुकने का नाम नहीं ले रही थी। मल्लिका ने मेरा लंड मुंह से निकाला, और मुझे कहा-
मल्लिका: तू अब इस ललिता की चूत मार, मैं अपना चूत इसके मुंह में झाड़ दूंगी।
मैंने भी एक वफादार कुत्ते की तरह मल्लिका की बात मानी। आंटी की दोनों टांगे अपने कंधों पे लेकर मैं आंटी को चोद रहा था। वहां मल्लिका आंटी के मुंह में अपना चूत ठुस रही थी। मल्लिका ने मुझे अपने पास खींच कर स्मूच करना शुरू कर दिया। मल्लिका के चेहरे का रंग बदल रहा था। उसका पानी बाहर आना शुरू हो गया।
फिर मल्लिका ने मुझे छोड़ कर पूरी ताकत से आंटी की मुंह की चुदाई करना शुरू कर दिया। मैं यहां आंटी की चूत में और गीला हो गया। सब नारियल तेल का कमाल था। लेकिन मुझे तो मल्लिका की चूत में झड़ना था, इसलिए झट से मैंने आंटी की चूत से जैसे लंड बाहर निकाला, मल्लिका झड़ना शुरू हो गई। ना जाने कितने सालों बाद मल्लिका ने इतना पानी छोड़ा होगा।
जब मल्लिका आंटी के मुंह से हटी, आंटी की हालत खराब थी। बाल, मुंह, नाक, आंख ना जाने कहां-कहां मल्लिका की चूत का चिपचिपा पानी फैला था। आंटी हांफ रही थी, लेकिन कुछ करने की ताकत अब उनमें बची नहीं थी।
अब मेरी बारी थी। मैंने मल्लिका को पीठ के बल लिटाया। उसकी दोनों टांगों के बीच आ कर अपने लंड को मल्लिका की चूत में दे मारा। मेरा लंड सीधे मल्लिका की बच्चेदानी तक गया होगा, क्यूंकि मेरा लंड मल्लिका की थूक मल्लिका और आंटी के चूत का पानी और आंटी के चूत का नारियल तेल से भरा पड़ा था।
पूरे रूम में सिसकारियां गूंज रही थी। थप थप की जोरदार आवाज़, आंटी की गंदी-गंदी गालियां जो वह मल्लिका को दे रही थी। मल्लिका जानवरों की तरह मुझे जकड़ कर पिछवाड़ा उछाल-उछाल कर मेरा लौड़ा अपनी चूत में ले रही थी। बस मेरा भी होने हो वाला था, और सच कहूं तो लंड में काफी दर्द भी होना शुरू हो गया था। लेकिन वासना के आगे सब फेल है।
मैंने मल्लिका से कहा: मल्लिका मेरी जान, मेरा पानी आ रहा है।
उसने मुझे अपनी जांघों के बीच जकड़ लिया, और मुझसे लटक गई। मैं भी अपनी पूरी ताकत लगा कर मल्लिका की चूत चोद रहा था, जैसे ये आखिरी चुदाई हो। मेरा लंड जवाब देने लग गया। मल्लिका ने अपना मुंह खोल कर मेरे मुंह में समा लिया।
उम्म उम्म उफ्फ उफ्फ आह आह उम्म की आवाज के माहौल में मैंने अपने लंड से कंट्रोल छोड़ दिया, और ना जाने कितने दिनों बाद ऐसी तगड़ी चुदाई के बाद तो इतना पानी निकला, जिसे मैं बयान नहीं कर सकता। पांच मिनट बाद जब मैं मल्लिका से अलग हुआ, तब एक ही बिस्तर पे दो चूत नज़र आ रही थी। वह भी सास-बहु की।
सास का पूरा मुंह भरा हुआ था बहु की चूत के पानी से, और बहु की चूत से हम दोनों का लावा रस बह कर बिस्तर गीला कर रहा था। पूरा बिस्तर लंड और चूत के पानी से सना पड़ा था। अब उस रूम में कराहने की, हंसी की, और तेज सांसे चलने के आवाज के सिवा कुछ नहीं था। एक बिस्तर पर हम तीनों नंगे पड़े थे, और एक-दूसरे को किस्स किए जा रहे थे।
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