Drishyam, ek chudai ki kahani-7

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! सिम्मी ने डरते हुए पर अनिवार्य को स्वीकारते हुए कालिया का तगड़ा चिकना लण्ड अपने हाथ में लिया और उसे स्त्री सहज कर्तव्य भावना से सहलाने लगी। उसके सहलाने में प्यार कम और भय ज्यादा था। … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-6

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! कालिया उठ खड़ा हुआ और फुर्ती से उसने वह गद्दा फर्श पर बिछा दिया और सिम्मी को वहाँ लेटने को कहा। सिम्मी क्या करती? चुपचाप कालिया के इशारे पर वह वहाँ जा कर लेट गयी और … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-5

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! सिम्मी समझ गयी की जो होना है सो होगा ही, चिल्लाने से कुछ होने वाला नहीं है। सिम्मी चुप होकर वहीँ वैसे की वैसे खड़ी हो गयी। सिम्मी ने बिना बोले ही कालिया को अपनी रजामंदी … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-4

This story is part of the Drishyam series हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! उधर जैसे ही अर्जुन दूकान से चाचाजी के घर पहुंचा लगभग उसी समय कालिया अपने भरे हुए ट्रक में सामान डिलीवरी करने के लिए दूकान पर पहुंचा। ट्रक की आवाज सुनकर सिम्मी बाहर आयी तो उसने कालिया को सामान उतारते … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-3

This story is part of the Drishyam series हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! गर्मी का मौसम था, चीलचिलाती धुप थी। अक्सर गुजरात के छोटे कस्बों में दूकानदार दोपहर को १२.३० से चार बजे के बिच में दुकान बंद कर देते हैं और घर जाकर खाना खा कर सो जाते हैं। मैंने अनुभव किया … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-2

This story is part of the Drishyam series हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! जब से सिम्मी ने कालिया का लण्ड देखा था तब से उसके मन में पता नहीं कुछ अजीब सी उलझनें पैदा हो रही थीं। उसे कालिया के प्रति एक तरह का विचित्र आकर्षण होने लगा था। हालांकि उसे कालिया कतई … Read more

Drishyam, ek chudai ki kahani-1

This story is part of the Drishyam series मेरी यह कहानी सत्य तथ्यों पर आधारित है पर पूर्णतया सत्य भी नहीं है। इसमें साहित्यिक दृष्टि से और खास कर इस माध्यम और पाठकों के परिपेक्ष में जो कुछ भी उचित परिवर्तन, सुधार, संक्षिप्तीकरण विस्तृति करण बगैरह करना चाहिए वह करने के पश्चात यह कहानी पाठकों … Read more

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 74 (Last Episode)

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series क्या खूब सुहाना सफर रहा क्या सुबह हुई क्या शाम ढली। धीरे धीरे किसी की औरत मैंने कैसे अपनी करली। जो फिरती थी मानिनी बन कर उसको मैंने पकड़ा कैसे? जाँ का भी दाँव लगा कर के बाँहों में उसे जकड़ा … Read more

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 73

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series अच्छी अच्छी मानिनीयाँ भी चुदवाने को बेताब हुई? पहले तो पति से ही चुदती थी, गैरों पर क्यों मोहताज हुई? दवा जो वफ़ा का करते थे जो ढोल वफ़ा का पीटते थे। क्यों वह झुक कर डॉगी बन लण्ड लेने को … Read more

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 72

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series जस्सूजी हालांकि सुनीता को पहले भी चोद चुके थे पर सुनीता के लिए हर बार जब भी जस्सूजी का लण्ड उसकी चूत में दाखिल होता था तो पता नहीं क्यों, सुनीता के पुरे बदन में जैसे एक अजीब सी तीखी मीठी … Read more