दीदी का देवर-5 (Didi Ka Devar-5)

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मेरा नाम रिया पंडित है। मैं अभी 22 साल की हूं, और BA फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रही हूं। अब तक आप पढ़ चुके होंगे कि किस तरह बारिश में विजय ने मुझे नंगी करके चोदा, और उसके बाद हम दोनों घर आ गए। घर आते ही वह मेरी मां से चिपकना शुरू कर दिया।

दीदी का देवर है। बड़ा नटखट उसने अब आते ही मेरी मां पर भी लाइन मारना शुरू कर दिया था। मेरा भाई शर्मिला और कम बोलता है। लेकिन मेरी मम्मी को नटखट और मजाक करने वाले लड़के पसंद थे। और विजय बिल्कुल वैसा ही था। वह आते ही मम्मी को गले लगना, चिपकना, उनको इधर-उधर टच कर देना, और उनसे मीठी-मीठी बातें करना शुरू कर दिया था।

मम्मी को उससे बात करने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। मम्मी भी उससे हमेशा बातें करना चाह रही थी। वह काम के बीच-बीच में उसके पास आकर बातें करने लगती। मुझे भी अब लग गया था, कि विजय मुझसे ज्यादा मम्मी में इंटरेस्टेड था। तो मैं भी अपने मोबाइल में बिजी हो जाती थी।

शाम को मेरे पापा और भाई भी घर वापस आ गए। हम सभी ने खूब मस्ती की। मम्मी हम लोगों में ही उलझी रही, उसके बाद मम्मी खाना बनाने लगी। हम लोग इधर बातें कर रहे थे, कि तभी विजय उठ कर किचन में चला गया, और मम्मी से चिपकने लगा। मैं भी बहाना करके किचन के पास जाकर उन लोगों को देखने लगी।

विजय मम्मी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया था, और मम्मी उससे बोल रही थी कि, “प्लीज छोड़ो कोई आ जाएगा।”
विजय बोल रहा था कि, “कोई आ भी जाएगा तो क्या करेगा? हम दोनों आपस में क्या चिपक नहीं सकते हैं?” मम्मी उसकी शर्त को समझ रही थी, और मुस्कुराते हुए बोली-

मम्मी: चलो हटो बदमाश कहीं के! जाकर के अपनी उम्र के लड़कियों के साथ फ्लर्ट करना। मैं तुमसे बहुत ज्यादा बड़ी हूं, और मुझमें तुम्हें क्या ही मिलेगा?

विजय: जो आप में है, वह किसी और लड़की में मिल ही नहीं सकता। मैं तो आपका दीवाना हो गया हूं। आप इतनी खूबसूरत जो है। यदि आप मेरे भाई की सास ना होती, तो मैं आपको अभी।

यह कहते हुए विजय रुक गया। तभी मम्मी पलटी और विजय अभी भी मम्मी को बाहों में भर रखा था। उसके कानों को खींचते हुए मम्मी बोली-

मम्मी: अगर मैं तुम्हारे भाई की सास ना होती तो तुम क्या करते बदमाश, बोलो?

फिर विजय मुस्कुराते हुए मम्मी को देखने लगा। मम्मी भी विजय की आंखों में देख रही थी। अब दोनों का चेहरा पास आ रहा था। विजय ने झट से मम्मी के होंठ पर होंठ रखना चाहा, तो मम्मी अपनी सर को दूसरी तरफ घूमा ली, और विजय का होंठ मम्मी के गाल से जा चिपका। मम्मी का गाल इतना मुलायम था कि विजय अपना होश खो बैठा, और उस गाल को काटने लगा। मम्मी उसे दूर हटाने लगी।

मम्मी ने उसे दूर धकेलते हुए बोला, “बदमाश कहीं के, मैं तुम्हारी मां की उम्र की हूं, और तुम मेरे साथ यह सब कर रहे हो! जाओ जाकर अपनी उम्र की लड़कियों के साथ जो करना होगा करना।”

मम्मी उससे दूर हट कर अपने काम में लग गई। तभी वह फिर से मम्मी को पीछे से पकड़ कर उनके कान के पास एक किस्स कर दिया। मम्मी के होश ही उड़ गए। उनकी गांड में शायद उसका मोटा सा लंड चुभने लगा था। मम्मी काम करते-करते रुक गई। तभी विजय ने दूसरा हमला किया, और एक और किस्स उनकी गर्दन पर कर दिया। मम्मी इस बार पूरी तरह से चकित होकर स्तब्ध खड़ी हो गई।

तभी विजय ने अपने हलके से दांत से उनके गर्दन पर काटना शुरु कर दिया। मम्मी मदहोश हो गई। उनके हाथ से बेलन ही छूट कर नीचे गिर गया। तभी दोनों अलग हो गए। फिर मम्मी विजय से बोली कि, “प्लीज तुम यहां से चले जाओ। कोई हमें इस तरह देख लेगा, तो बहुत बुरा होगा। जाओ तुम जाकर बैठो, मैं थोड़ी देर में खाना लगा रही हूं।”

तभी विजय ने मम्मी के दोनों गाल को अपने हथेलियां में लेकर, उनके होंठों के पास अपने होंठ लेकर चला गया। मम्मी भी उसकी आंखों में देखने लगी। ऐसा लग रहा था कि अब दोनों के होंठ सट जाएंगे, पर विजय उन्हें ऐसे ही छोड़ कर वहां से चला आया। मम्मी वैसे ही खड़ी उसे देखती रह गई।

फिर मम्मी अपना काम करने लगी, और थोड़ी देर बाद मम्मी ने हमें खाना खिलाया और खुद खाकर हम सभी सोने चले गए। मैं अपने कमरे में सो रही थी, और भाई अपने कमरे में सो रहा था, और विजय गेस्ट रूम में आराम कर रहा था। मम्मी और पापा एक रूम में सो रहे थे।

सुबह हम सभी उठे तो मम्मी ने नाश्ता तैयार कर लिया था। भाई पढ़ने जाने को तैयार था, और पापा भी कहीं बाहर निकल रहे थे। तभी विजय आया और मम्मी उन्हें नाश्ता दे दी। जब वह नाश्ता दे रही थी, तो वह झुक गई और उनकी चूचियां दिखाई देने लगी। जिसे विजय बड़ा गौर से देख रहा था।

तभी मम्मी उससे आंखों ही आंखों में पूछ बैठी कि क्या देख रहे हो? तब विजय मुस्कुराने लगा। मम्मी भी उसकी शरारत देख कर हंसने लगी, और वहां से चुप-चाप चली आई।‌थोड़ी देर बाद पापा और भाई अपने-अपने काम पर निकल गए, और मैं भी अपने फोन में बिजी हो गई।‌ फिर मम्मी कपड़ा धोने चली गई। विजय अपने गेस्ट रूम में आराम कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मुझे देखना चाहिए कि विजय क्या कर रहे थे। जब मैं जा रही थी, तो देखी की बाथरूम में हंसने की आवाज आ रही थी। मैं चुप-चाप दबे पांव गई और देखने लगी। तब मुझे दिखाई दिया कि विजय मम्मी के पास बैठे हुए थे‌ वो उनकी चूचियों को घुर रहे थे। मम्मी जब कपड़े धो रही थी, तो नीचे पटक-पटक के धो रही थी, और उनकी चूचियां साफ़ नज़र आ रही थी।

विजय मम्मी के चूचियों को घूरते हुए‌ उनसे काफी हंसी मजाक कर रहा था। मम्मी को भी मजा आ रहा था। वह चुप-चाप उसके मजाक खुद सुन रही थी, और हंस रही थी।‌विजय जब लगातार मम्मी के चूचियों को घूर रहे थे, तब मम्मी को थोड़ी मस्ती सूझी और पास से थोड़ी सी पानी लेकर उनके मुंह पर फेंक दी।

विजय ने यह सहन ना किया और उठ कर मेरी मम्मी को पकड़ने लगा। मम्मी नहीं-नहीं करके भागने लगी। तभी उसने मम्मी को अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया, और बिल्कुल ठीक शावर के पास खड़ा कर दिया, और शावर चालू कर दिया। मम्मी उसे दूर हटाने की कोशिश करती रही, पर विजय कुछ नही सुन रहा था।

मम्मी अब शावर के नीचे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।‌ फिर विजय ने अपने हाथों से मम्मी का चेहरा ऊपर की ओर किया, और अपने होंठों को मम्मी की होंठों पर लगा दिया। साथ ही मम्मी के दोनों नितंबों को वो जोर-जोर से दबाने लगा। मम्मी अब गरम हो रही थी, और धीरे-धीरे विरोध कम करके उसका साथ देने लगी, और उसकी पीठ को सहलाने लगी।

मम्मी अब गरम हो चुकी थी और विजय के होठों को चूस रही थी। विजय भी अपने दोनों हाथों से मम्मी के नितंब को दबाते हुए उनके होंठों को चूस रहा था। बाथरूम में शावर के नीचे काफी कामुक और गर्म माहौल हो चुका था।

फिर विजय ने मम्मी के साड़ी को उतारना शुरू किया, और उतार के बगल में रख दिया। फिर ब्लाउज को खोला और होठों को ऐसे ही चूसते रहा। फिर मम्मी के पेटीकोट का नाड़ा को खींच कर नीचे गिरा दिया। मम्मी अब उसके सामने ब्रा और पेंटी में थी, और विजय लगातार मम्मी के होठों को चूस रहा था।

जैसे ही मम्मी के होठों को विजय ने छोड़ा, मम्मी लंबी-लंबी सांस लेना शुरू कर दी। वो बोली कि, “यह सब ठीक नहीं है बेटा। हम दोनों के बीच यह सब नहीं होना चाहिए।” पर फिर से विजय ने मम्मी के गालों को सहलाते हुए उन्हें चूमा, और होंठों को फिर से चूसने लगा। मम्मी फिर से विजय का साथ देने लगी। इस बार विजय ने मम्मी के ब्रा को खोल कर उनकी दोनों चूचियों को आजाद कर दिया, और अपने से चिपका कर उनके नितंबों को दबाने लगा।

फिर विजय ने मम्मी के होठों को छोड़ा, और उनकी चूचियों को चूसने लगा। फिर मम्मी की पेंटी को खिसका कर नीचे किया, और उनके दोनों नितंबों को जोर-जोर से दबाने लगा। मम्मी अब अपनी आंखें बंद करके विजय के सर को सहला रही थी।

थोड़ी देर मम्मी की दोनों चूचियों को चूसने के बाद विजय नीचे की ओर आया, और मम्मी के पेट को चूमने लगा। साथ ही उनकी गोरी-गोरी जांघो को चूमने लगा। मम्मी अपने पैर सटाई हुई थी। वह नहीं चाहती थी कि उनकी बुर का दर्शन विजय ऐसे ही कर ले।

विजय जैसे-जैसे जांघो को चूमते हुए मम्मी की बुर की तरफ बढ़ रहा था, मम्मी के पैर ऑटोमेटिक ही खुलने लगे, और बुर दिखाई देने लगी। विजय मम्मी की बुर के पास पहुंच कर उनकी बुर में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा। मम्मी का पैर पूरा खुल चुका था, और मम्मी आंखें बंद करके आहें भर रही थी।

फिर विजय ऊपर की ओर आया और अपने कपड़े को उतार कर अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए मम्मी की बुर पर सेट किया।‌ वो मम्मी के होंठों को चूसते हुए धीरे-धीरे लंड को मम्मी की बुर में खड़े हुए ही डालने लगा। मम्मी आहें भरते हुए उनके लंड को पूरी तरह से बुर में उतार ली, और उसके होंठों को चूमते हुए पीठ को सहलाने लगी।

विजय मम्मी को तेजी से चोद रहा था। मम्मी भी उससे चुदने का संपूर्ण आनंद ले रही थी अपनी आंखों को बंद करके, उसके पीठ और बाल को सहलाते हुए। फिर विजय ने मम्मी को उल्टा किया और पीछे से अपने लंड को उनकी बुर में डाल दिया, और बाथरूम में खड़े-खड़े ही मम्मी की चुदाई करने लगे।

थोड़ी देर में दोनों की चुदाई की रफ्तार तेज हो गई, और तेज-तेज धक्के लगाने के साथ थोड़ी देर बाद वह दोनों एक-दूसरे में चिपक कर शांत खड़े हो गए, और दोनों हांफने लगे।

फिर विजय ने अपने लंड को बाहर निकाला, और मम्मी को पीछे से ही उनके गालों को चूमते हुए बाथरूम से बाहर निकल आया, और अपने कपड़े पहन लिया। मैं भी वहां से भाग गई। थोड़ी देर बाद जब वापस आई, और बाथरूम में देखने लगी, तो मम्मी नंगी ही शावर के नीचे बैठ कर रो रही थी। शायद उन्हें पछतावा हो रहा था कि उन्होंने अपने दामाद के भाई यानी कि अपनी बेटी के देवर से चुदाई कर ली थी।

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