संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-14 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-14)

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हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

मां इतनी रात में एक बड़े शीशे के सामने खड़ी होकर, हेयर ड्रायर मशीन से अपने बालों को सुखा रही थी। मम्मी आईने के सामने खड़ी अपने बालों को धीरे-धीरे सुलझाते हुए गुनगुना रही थी। उन्होंने एक बेहद नाज़ुक, बेबी पिंक रंग का फूलों की कढ़ाई से सजा हुआ ब्रा-पैंटी सेट पहना था, जिसमें हल्के गुलाबी और सुनहरे धागों से बने छोटे-छोटे फूल उनके तन पर जैसे खिल रहे थे।

मम्मी की पैंटी बहुत ही ज़्यादा शॉर्ट थी, उनकी आधी गोरी और उभरी हुई गांड नंगी ही नज़र आ रही थी। मम्मी की नंगी, चिकनी थाई और गोरी टांगें, उफ़ मेरा ईमान ख़राब कर रही थी। मैंने शीशे में देखा, मम्मी की गोल चूचियां उनके छोटे साइज़ की ब्रा में कैद नहीं हो पा रही थी। आधे से भी ज़्यादा बाहर झाँक रही चूचियां ब्रा का हुक तोड़ने को तैयार हो रही थी।

मां के खुले बाल कंधों से नीचे तक लहराते हुए गिर रहे थे। बालों में हल्की वेव्स थी, और उनमें सुनहरी ब्राउन हाइलाइट्स। चेहरा शांत, आंखों में आत्मविश्वास और होंठों पर हल्की मुस्कान। जैसे वो खुद ही अपने इस लुक को महसूस कर रही हो। उनकी कमर पर चाँदी की पतली करधनी और पैरों में चाँदी की पायलें धीरे-धीरे हिलतीं तो उनमें एक बहुत हल्की, धीमी सी छन-छन होती। कमरे की उस ख़ामोशी में जैसे कोई मधुर राग छेड़ रहा हो। ये सब कुछ इतना अश्लील था कि देखने वाले को मां की चुदाई करने पर मजबूर कर दे। मम्मी को देखने के बाद मैं उल्टे पैर बाहर जाने लगा था, तभी मम्मी मुझे शीशे में से देख लेती हैं और बिना पीछे मुड़े-

मम्मी बोली: क्या हुआ राहुल बेटा, तुम अभी तक सोए नहीं?

मैं थोड़ा हड़बड़ा कर बोला: वो… वो मम्मी, मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो सोचा आपके साथ थोड़ी बातें कर लूं! पर आप इस हाल में हैं तो मैं बाद में आ जाता हूं?

मम्मी: ओहो, कोई बात नहीं बेटा, आ जाओ।

फिर मम्मी ने बगल में से एक कपड़ा उठा कर ब्रा-पैंटी के ऊपर पहना, जो एक सिल्की, हल्का पारदर्शी रोब था। वो उसी रंग और डिज़ाइन का था, बिलकुल मैचिंग। वो रोब उनके कंधों से ढलता हुआ, कमर पर हल्के से बँधा था। वो मम्मी के घुटनों तक ही था। उसकी पारदर्शिता से अंदर का सुंदर डिज़ाइन झलकता, मगर सलीके से ढका हुआ था। रोब के किनारों पर नाज़ुक लेस थी, और उसकी हल्की-सी झिलमिलाहट मां की त्वचा पर चाँदनी जैसी चमक छोड़ रही थी। मैं मम्मी को देखते हुए इतना खो गया था, मुझे होश जब आया जब-

मम्मी मेरे करीब आकर बोली: राहुल, कहाँ खो गए? अब ऐसे ही देखते रहोगे तो मुझे शर्म आने लगेगी!

मैं बड़ी धीमी आवाज़ में बोला: मम्मी, आप इतनी हॉट लग रही हो कि मेरी नज़र आपसे हट ही नहीं रही, आपका यह बालों का स्टाइलिंग आपको और भी सेक्सी बना रहा है। आप वो पहले वाली मां नहीं, एक मॉडल सविता लग रही हो!

फिर मैंने अपना एक हाथ उनके बालों में फेरा। एकदम सिल्की और मुलायम, उनमें से आती ख़ुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने एक नज़र मम्मी के चेहरे पर डाली, क्या निखार था! उनकी चमचमाती नथ और भी प्यारी लग रही थी। मैं उनके माथे से अपना हाथ फेरते हुए, गालों से होते हुए उनकी झुमके जैसी नथ तक लाया और उसे प्यार से सहलाने लगा।

मम्मी मेरी आंखों में देख कर बड़े ही प्यार से बोली: राहुल, यह सविता तुम्हारे वजह से ही अपने आप को बदल पाई है, वरना तुम्हारे पापा होते तो मैं आज भी वहीं ओल्ड मॉडल मां होती।

मैं थोड़ा डरे हुए लहज़े में बोला: मम्मी, आपका यह बदलता रूप देख कर मुझे डर लग रहा है, कहीं आप मेरे से दूर… (मैं इतना बोल कर चुप हो जाता हूं)

मम्मी: राहुल, क्या किस बात का डर? बोलो, तुम मेरे से बोल सकते हो।

मैं: देख रहा हूं आप कुछ दिन से मेरे पास नहीं आतीं, ना ही वो पहले जैसा प्यार करती हैं? कहीं आप पापा की जगह किसी और को देकर मेरे से दूर ना हो जाएँ?

मम्मी तुरंत मुझे अपने गले से लगा कर बोली: राहुल, ऐसा नहीं होगा, मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाऊँगी!

मम्मी की यह बात सुन कर मुझे ख़ुशी हुई कि, मेरी मां जुनैद से बस चुदाई का ही मज़ा ले रही थी। फिर मैंने मम्मी को थोड़ा और टाइट हग किया, जिससे उनकी मस्त चूचियां मेरे सीने से चिपक गई। उनके टाइट निप्पल मुझे अपने सीने में अच्छे से महसूस होने लगे, मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो गया था।

मैं मम्मी की पीठ पर अपने हाथ फेरते हुए बोला: मम्मी, सच में आप पहले से बहुत हॉट हो गई हो।

मम्मी: थैंक्स बेटा, जैसा तुमने चाहा था, मैं वैसे ही मॉडल बन रही हूं। सच बताऊँ तो मुझे अब खुल कर जीने में मज़ा आ रहा है।‌ अब तुम्हारी वजह से मेरी सभी ख़्वाहिशें पूरी हो रही हैं।

अपनी तारीफ़ सुन कर मैं मम्मी के दोनों गाल चूम कर बोला: सविता को अपनी हर ख़्वाहिश पूरी करने का हक़ है। (मैं मम्मी के गले में अपना हाथ फेरता हूं, थोड़ा उनकी चूचियों के ऊपरी हिस्से पर भी अपनी उँगलियां फेरते हुए) आपका यह सुंदर रूप पर यह खाली गला अच्छा नहीं लग रहा, मैं आपको एक बेहतरीन और महंगा गिफ़्ट देना चाहता हूं। जिसे पहनने के बाद आप और भी हॉट लगेंगी।

मम्मी एक क़ातिलाना मुस्कान से बोली: वाह राहुल, तुम अपने पापा से भी अच्छा सोचते हो मेरे लिए, वैसे वो कीमती गिफ़्ट कब मिलेगा इस सविता को?

मैं अपने दोनों हाथों को मम्मी की कमर में डाल कर उन्हें अपने से और सटा कर उनके होठों के नज़दीक अपने होंठ ला कर बड़े ही प्यार भरे लहज़े में बोला: आपके बर्थडे पर, जो जल्दी ही आ रहा है।

मम्मी तुरंत लपक कर मेरे होठों को चूमते हुए ख़ुशी से बोली: ओ गॉड, मैं तो भूल ही गई थी। थैंक्स राहुल, तुम्हारी वजह से मुझे एक और ख़ुशी का दिन मिल गया। इस बर्थडे को मैं कुछ ख़ास और स्पेशल करूँगी, और मैं भी तुम्हें एक सरप्राइज़ दूँगी!

मैं बोला: वैसे सविता जी, मुझे क्या सरप्राइज़ देने वाली हैं?

मम्मी ने अपना एक हाथ मेरे सिर के पीछे रखा और एक मेरे नंगे सीने पर। अपने होठों को मेरे नज़दीक लाकर बोली: वो बाद में बताऊँगी।

इतना बोल कर मम्मी अपने होठों से मेरे होंठ लॉक कर देती हैं, (मम्मी के इस हमले से मैं अनजान था)। मैं भी उनके होंठ चूसते हुए सोचने लगा कि मम्मी मुझे क्या सरप्राइज़ दे सकती थी? वो क्या करने वाली थी, जो मेरे लिए सरप्राइज़ होगा? मैंने मन में सोचा, ख़ैर यह मैं बाद में सोच लूँगा, अभी इस पल का मज़ा लेता हूं। मैं मम्मी के लिप्स चूसते हुए सातवें आसमान पर पहुँच रहा था, आज उनका लिप्स चूसने का अंदाज़ कुछ ज़्यादा कामुक, जोशीला लग रहा था।

नीचे से मेरा लंड भी निक्कर में तन कर खड़ा हो रहा था। मैंने मां के उभरते चूतड़ों पर एक हाथ से थोड़ा दबाव बना कर उन्हें नीचे से भी अपने से सटा लिया। जिससे उनकी उभरती, फूली हुई चूत मेरे खड़े लंड से चिपक जाती है, मेरा लंड अब आराम से मां की चूत की मोटी फांकों में रगड़ खा रहा था।

उफ़, लंड चूत पर टच होते ही मां को भी परम आनंद प्राप्त हो रहा था, जो वो मेरे होठों को चूस कर मुझे बता रही थी। सच में दोस्तों, मुझे ऐसा मज़ा आ रहा था, मैं उसे अभी शब्दों में आप लोगों को नहीं बता पा रहा हूं। जो भी अपनी बीवी या अपने पार्टनर के साथ इस पल को कर चुका है, बस वो ही मेरी फ़ीलिंग्स को समझ सकता है। आगे-

मैंने मम्मी की बंद पड़ी हुई आंखों को देखा, वो बड़े सुकून से मेरे अंदर अपनी जीभ डालकर उसे मेरी जीभ से लड़ा रही थी। उनका यह रूप देख कर मेरी हिम्मत कुछ बढ़ जाती है। मैं अपने हाथों को उनकी उभरी हुई मुलायम गांड पर लाता हूं। फिर अपने दोनों हाथों को हल्के-हल्के गांड के ऊपर फेरता हूं, उसकी गांड की बीच की फाँकों में अपनी एक उँगली फेरता हूं तो कभी दूसरे हाथ से पैंटी से बाहर निकली हुई नंगी गांड को हल्का दबा देता हूं।

मेरी मां मेरी इस हरकत का कोई विरोध नहीं कर रही थी, तो मेरी हिम्मत और बढ़ रही थी। मैं मम्मी की जीभ को चूसते हुए कामुक हुआ जा रहा था, साथ में मेरा लंड भी मम्मी की चूत में रगड़ खाते हुए मुझे और जोश दिला रहा था। मम्मी अपना एक हाथ मेरी नंगी पीठ पर फेर रही थी, और अपना एक हाथ मेरे गले में डाले हुए मेरे होठों और जीभ को मस्त चूस रही थी।

आज काफ़ी दिनों बाद मुझे मम्मी का इस तरह प्यार मिल रहा था। मैंने भी इसका पूरा फ़ायदा उठाने की सोची, अपने हाथों को मम्मी के बदन पर फेरने लगा था। मैं मम्मी की मस्त चर्बीदार गांड को अपने हाथों से दबाने लगता हूं, तो मम्मी मेरे होठों से अपने होंठ अलग करके मेरी आंखों में देखने लगती हैं। मां की कामुक आंखें देख कर पता नहीं मुझे क्या हो जाता है, मैं अचानक मम्मी की नथ पर टूट पड़ता हूं। मां की नथ को चूमते हुए उनके गाल काटने लगता हूं।

मां आह उफ़ करते हुए: राहुल आह बस करो उफ़।

मैं उनकी बिना सुने उनके होंठ फिर अपने होठों से बंद कर देता हूं, और अपने एक हाथ से मां के एक चूतड़ को अपनी पूरी मुट्ठी में भींच लेता हूं। मां मेरे इस हमले से अनजान थी, वो एक-दम से चौंक जाती हैं, और वो मेरे निचले लिप्स को अपने दाँतों से काट लेती हैं। हम दोनों के होंठ अलग हो जाते हैं। मम्मी घूमकर मेरी तरफ़ अपनी पीठ कर लेती हैं। मैं फिर भी मम्मी के पीछे से लिपट जाता हूं, अपने दोनों हाथों को मां के पेट पर लपेट लेता हूं ताकि मां मेरे से दूर ना जाए। अब मेरा टाइट लंड मां की गांड में चुंबन कर रहा था, जिससे मम्मी कसमसाने लगी थी। मैं मां की गर्दन और कान के आस-पास चूम रहा था।

मम्मी ने धीमी, कामुक भरी आवाज़ में कहा: आह राहुल, हटो भी, क्या हो गया तुम्हें?

मैंने हकलाते हुए कहा: मुझे… मुझे इस सविता से प्यार हो गया है, यह सविता बहुत ही सेक्सी और हॉट है।

मम्मी मेरी तरफ़ गर्दन घुमा कर कुछ बोलने वाली थी, तभी मैंने अपने होठों से उनके लिप्स बंद कर दिए। मम्मी मेरे से अब छटपटा रही थी। मैं अपना हाथ उनके पेट पर फेरते हुए पैंटी तक ले गया। मैं पैंटी की इलास्टिक के साथ कुछ देर खेलते हुए अपनी उँगलियां पैंटी के अंदर डालने लगा।

मेरी उँगलियां मां की चुभती झाँटों तक पहुँच गई थी। मैं कुछ देर उधर ही उँगलियों को चलाने लगा। फिर मैंने थोड़ा और अंदर अपना हाथ किया तो, मम्मी ने तुरंत अपने हाथ को मेरे हाथ के साथ पैंटी में डाल दिया। मेरी उँगलियों ने जैसा ही चूत के दाने को हल्का सा छुआ तभी मां ने मेरा हाथ बाहर खींच लिया।

मम्मी अपने होठों को मेरे से अलग करते हुए मेरी तरफ़ घूम कर बोली: राहुल, यह ज़्यादा नहीं हो गया! मैं सविता के साथ मां भी हूं तुम्हारी। बेटा, हमारे प्यार करने की कुछ मर्यादा है।

मेरा जोश और होश मम्मी की इस बात से पूरा जैसे उतर सा गया था। मैं मम्मी के सामने अपना मुँह लटकाए खड़ा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूँ, मुझे अपनी गलती नज़र आ रही थी। मैं चुप-चाप खड़ा उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था।

मम्मी मेरे क़रीब आई और मेरे चेहरे को ऊपर उठा कर मेरी आंखों में देखते हुए बोली: राहुल बेटा, तुम अब जवान हो रहे हो, मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकती हूं। इस उम्र में लड़के अक्सर बहक जाते है। अब यूँ मुँह लटका कर खड़े मत रहो, मैं तुम्हें कोई डाँट नहीं रही हूं।

मम्मी की इस बात से मेरे अंदर थोड़ी हिम्मत आई और मैंने तुरंत मम्मी को अपने गले लगाते हुए कहा: सॉरी मम्मी, पता नहीं मुझे क्या हो गया था, मैं आपका ऐसा हॉट रूप देख कर आपके प्रति बहक सा गया था।

मम्मी थोड़े ख़ुशी के मिज़ाज में बोली: राहुल, मैं समझ सकती हूं, तुमने कुछ ग़लत नहीं किया। वैसे अब तुम बड़े हो रहे हो, तुम्हें अब अपने लिए कोई गर्लफ्रेंड ढूँढ लेनी चाहिए।

मैं: क्या मम्मी, आप भी ना, मैं अभी इतना भी बड़ा नहीं हुआ हूं, जो अपने लिए गर्लफ्रेंड ढूँढ लूँ।

मम्मी थोड़े मज़ाकिया तरीक़े से बोली: हाँ, वो तो मैंने देख ही लिया तुम कहाँ से कहाँ तक बड़े हो गए हो। ख़ैर, अब काफ़ी रात हो गई है हमें अब सोना चाहिए।

मैं मम्मी को फिर से अपनी बाँहों में भर कर उनके गालों को चूमते हुए मैंने कहा: मम्मी, मुझे सविता जैसी मिली तो ही किसी को गर्लफ्रेंड बनाऊँगा, वरना मैं अपनी प्यारी मम्मा को ही प्यार करूँगा?

मम्मी अपने कोमल हाथों से मेरे गालों को नोचते हुए बोली: सविता भी तुम्हें बस मम्मा वाला ही प्यार देगी बुद्धू, अब जाकर सो जाओ।

मैं: बिना गुड नाइट किस्स के मैं नहीं सोने वाला।

मम्मी: तुम मानोगे नहीं? (मम्मी मेरे लिप्स पर लिप्स रख कर एक किस्स करती हैं)।

तभी कमरे में अचानक जुनैद लुँगी में दाख़िल हो जाता है। वो हमें ऐसा देख उल्टे पैर जाने लगा था। मैं उसे इतनी रात में मां के कमरे में आया देख ग़ुस्से में बोल पड़ता हूं-

मैं: जुनैद, तुम्हें तमीज़ नहीं है? तुम इतनी रात में मम्मी के कमरे में आ रहे हो, वो भी बिना गेट नॉक किए?

मम्मी मेरा चेहरा अपनी तरफ़ करके बड़े प्यार से बोली: बेटा, जुनैद किसी काम से ही आया होगा, उसे इतना ग़ुस्सा क्यों कर रहे हो। मैं बात कर लेती हूं। जुनैद, क्या हुआ तुम्हें कुछ काम था?

जुनैद मम्मी की तरफ़ देख कर बोला: मैडम, मैं तो बस आपको कॉफ़ी के लिए पूछने आया था?

मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा: जुनैद जी, अभी मेरा मूड नहीं है, ज़रूरत होगी तो मैं तुम्हें बुला लूँगी, अभी तुम जाओ।

उसके जाने के बाद मैं मम्मी से कहा: आप रात में कॉफ़ी पीती हो?

मम्मी: हाँ, कभी-कभी मुझे नींद नहीं आती तो पी लेती हूं। राहुल, पर तुम्हें जुनैद पर इस तरह ग़ुस्सा नहीं करना चाहिए था।

मैं: मम्मी पर उसका इस तरह कमरे में आना मुझे ठीक नहीं लगा, आप इस तरह कम कपड़ों में थी उसका आपके सामने आना ग़लत था।

मम्मी: राहुल बेटा, जुनैद मेरे ऑर्डर पर ही आता है, उसे अब पता है। मुझे कब किस चीज़ की ज़रूरत है, वो उसको पूरी करता है। आज जुनैद ने जैसा मेरा ख़याल रखा, वैसे तो कभी, ख़ैर राहुल, अब तुम्हें सोना चाहिए।

मैं: मम्मी, आप कुछ बोलने वाली थी? रुक गई।

मम्मी: बेटा, मेरा मतलब यही था कि जुनैद मेरा ख़याल रखता है, वैसे तो मैं भी अपना नहीं रख पाती आज जिस सदमे से गुज़री हूं। राहुल, बस अब तुम्हें जाकर सो जाना चाहिए। गुड बाय।

फिर मैं मम्मी के कमरे से अपने कमरे में आ जाता हूं। मम्मी के साथ बिताए पल को वो याद कर मैं मुठ मार कर एक चैन की नींद लेकर सो जाता हूं।

इसके आगे क्या हुआ वो आपको अगले भाग में बताऊँगा। दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे फ़ीडबैक में बताएँ। मेरी अभी तक की कहानी पर बने रहने के लिए आप सभी पाठकों को मेरा धन्यवाद।
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