दीदी का देवर-4 (Didi Ka Devar-4)

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पिछला भाग पढ़े:- दीदी का देवर-3

मेरा नाम रिया पंडित है।‌ मैं अभी 22 साल की हूं और BA फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रही हूं।

अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह दीदी और मैंने मिल कर लेस्बियन सेक्स किया, और उसके बाद दीदी ने विजय को बुलाया। फिर विजय ने हम दोनों बहनों की एक साथ जम कर चुदाई की। उसके बाद हम सो गए। उसके बाद मेरे घर से कॉल आया कि मैं घर चली जाऊं। तब दीदी मुझे विजय के साथ चले जाने को बोल दी।

सुबह-सुबह मैं तैयार हो गई थी घर जाने के लिए। मैं दीदी से मिली और दीदी ने मुझे गले लगा कर मेरे माथे को चूम लिया, और बोली-

दीदी: ध्यान से जाना।

फिर मैं विजय के साथ उसकी बाईक पर बैठ कर अपने घर की ओर चल दी। रास्ते में विजय बाइक को बड़े ही आराम से चला रहा था, और मुझसे बातें करते हुए चल रहा था।

फिर उसने मुझे बोला: मैं एक बहुत ही सुनसान रास्ता जानता हूं, जहां से जाने में हम दोनों को बड़ा मजा आएगा। चलो हम उधर से ही चले।

मैं उसे मना करने लगी कि सुनसान रास्ते पर ना जाए, पता नहीं कब क्या हो जाए, पर वह नहीं माना, और एक कच्ची सड़क पर लेकर चला गया। कच्ची सड़क पर बाइक चलाते हुए काफी हम दोनों एक-दूसरे से सट रहे थे। वह मेरी चूचियों का खूब आनंद ले रहा था।

थोड़ी देर बाद मौसम मे बदलाव होना शुरू हुआ, और काले-काले बादल घिर आए। ऐसा लग रहा था जैसे तेज आंधियों के साथ बारिश होने वाली हो।

मैं उससे बोली: थोड़ा तेज चलो, वरना हम लोग भीग जाएंगे।

पर वह बोला: हम कच्ची सड़क पर हैं रिया, चाह कर भी बहुत तेज़ नहीं जा सकते। हमें आराम से ही चलना होगा।

मैं उसके साथ इधर फंस चुकी थी। हम लोग आधे दूर ही आए थे कि हवा चलनी शुरू हुई। तब विजय ने बाइक को साइड में रोक कर बोला-

विजय: रिया, लगता है बहुत ही तेज बारिश होने वाली है। हम तो इस तरह भीग जाएंगे।

मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था। पर मैं कर भी क्या सकती थी? हम लोग चारों ओर देखे कोई दुकान ना घर, कुछ नहीं दिख रहा था। बस सड़क के किनारे बहुत सारे जंगल थे।

तब विजय ने बोला: मेरे बैग में एक बड़ा सा प्लास्टिक बैग पड़ा हुआ है। हम अपने बैग और अपने कपड़े निकाल कर उसी में डाल देते हैं। नहीं तो भीग जाएंगे, और बारिश के बाद हम लोग चले जाएंगे। वैसे भी सुनसान सड़क पर कौन आ रहा है जो हमें देखेगा?

मुझे उस पर गुस्सा आने लगा, पर कर भी क्या सकती थी? वह बाइक को जंगल के अंदर लेकर चला गया, जहां किसी के आने की कोई आशंका ना हो। चारों ओर झाड़ी झुरमुट थी। उसके बीच बाइक को खड़ा किया, और अपने बैग से प्लास्टिक बैग निकाला। तभी तेज बारिश शुरू हो गई। वो झट से अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया, और प्लास्टिक में डाल दिया।

फिर मुझे बोलने लगा: भीग जाओगी, जल्दी से कपड़े देदो।

मैं भी ना चाहते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर उसके सामने नंगी हो गई, और कपड़े प्लास्टिक बैग में डाल कर एक सुरक्षित जगह रख दिए। उसके बाद हम दोनों भीगने लगे बारिश में। वह मेरे नंगे बदन को बड़े ही गौर से देख रहा था। बारिश बहुत ही तेजी से हो रही थी। मुझे ठंड लगने लगी तो मैं अपने आप को पेड़ से समेट कर खड़ी हुई थी।

तभी विजय मेरे पास आया और मेरे होंठों को अपने हाथों से छूने लगा। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। ना चाहते हुए भी मैं अपने आप को उसके हवाले करते हुए उसके गले लग गई। मैं अपने सर को उसके कंधे पर टिका ली। वह भी मुझे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया, और मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे भीगे बदन पर अपना हाथ फिराने लगा।

मुझे बारिश और तेज हवा के बीच बहुत ही ज्यादा ठंड लगने लगी। मैं उसके बदन की गर्मी से थोड़ी गर्माहट ले रही थी, और वह मेरी गर्दन और गाल को चूमना शुरू कर दिया।

मैं अब गरम हो रही थी। मेरे बदन पर बारिश की बूंदे शीशे की तरह चमक रही थी, और वह अपने होंठ लगा कर उन बूंदों को मेरे बदन को चूमते हुए चूस रहा था।

वह मुझे अपने से अलग किया, और पेड़ के सहारे खड़ा करके मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। मैं अपनी आंखें बंद करके उसके सर को अपनी चूचियों में दबाने लगी। वह जोर-जोर से मेरी चूचियों को चूस रहा था। मेरी बुर अब गर्म हो कर पानी छोड़ना शुरू कर दी। ऊपर से यह तेज बारिश मेरे बदन को ऊपर से ठंडा कर रही थी, और विजय मेरी बुर के अंदर आग लगा रहा था।

मेरी सांसे बहुत ही ज्यादा तेज चलने लगी। विजय मेरे चूचियों को चूसता हुआ नीचे गया, ओर मेरे चिकने पेट के हर हिस्से को चूमने लगा, और चूमते हुए नीचे की ओर गया। वो मेरी जांघो और दोनों टांगों को बड़े ही प्यार से चूम रहा था। मैं उसकी इस तरह से चुसाई से गर्म हो गई थी, और मेरी बुर का पानी अब मेरी टांगों पर बहने लगा था। ऊपर से यह बारिश इतनी तेज थी कि मेरे पूरे बदन में आग लग रही थी।

बीच जंगल में इतनी तेज बारिश में हम दोनों नंगे एक-दूसरे के बदन को चूम रहे थे। वह मेरे बदन को चूमते हुए मेरी टांगों के बीच में आया, और मेरे बुर पर अपनी जीभ लगा कर उसको पीना शुरू कर दिया‌। मैं मदहोशी में उसके सर को अपनी बुर में घुसाए जा रही थी।

उउउउउउफ्फफ्फ्फ़ विजय ऊऊओह्ह्ह्हह इसी तरह वह मेरी बुर को चूसता हुआ खड़ा हुआ, और फिर मुझे नीचे बैठा कर अपने लंड को मेरे मुंह में देकर मुझे चुसाने लगा। मैं उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। ऊपर से यह तेज मूसलाधार बारिश हम दोनों के भीगे बदन में आग लगा रही थी, और मैं उसके लंड को अच्छी तरह से चूस रही थी।

फिर वह मुझे घास पर लिटाया, और मेरी टांगों को फैला कर मेरी टांगों के बीच में आया। उसने अपना लंड को मेरी बुर में घुसा दिया, और मेरे होंठ को चूसते हुए मुझे चोदना शुरू कर दिया। बारिश में चुदने का आनंद ही अलग है। ऊपर से यह सुनसान जंगल। मैं उसके बालों को सहलाते हुए उसकी चुदाई का आनंद ले रही थी।

वह मुझे इसी तरह बारिश में जोर-जोर से चोदता रहा था, और फिर धीरे-धीरे बारिश कम हो गई। कुछ देर बाद बारिश पूरी तरीके से छूट गई, पर विजय अभी भी नहीं रुक रहा था। वह मुझे लगातार चोद रहा था। अब वह मेरी एक टांग को अपने कंधे पर टिकाया, और एक टांग नीचे करके अपने लंड को मेरे बुर में तेजी से घुसा रहा था। मैं उसकी पीठ को सहला रही थी, और वह मेरी बुर को चोदे जा रहा था।

इसी तरह मुझे जोर-जोर से चोदते हुए उसने मुझे कुतिया बना दिया, और मेरे पीछे से लंड डाल कर मुझे चोदने लगा। अब बारिश पूरी तरीके से छूट कर हल्की-हल्की धूप निकलने लगी थी। पर वह था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था, और मुझे चोदे जा रहा था। घास पर अभी भी बारिश की बूंदे पड़ी हुई थी, और मैं इस पर लेट कर अपनी बुर चुदवा रही थी। वह चोदते हुए जोर-जोर से धक्का लगाने लगा, और हांफने लगा। मेरी चूचियों को मसलने लगा।

इसी तरह वह जोर-जोर से चोदते हुए अपने लंड का पानी मेरे ऊपर निकालने लगा। फिर मेरे ऊपर ही गिर गया। मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर उधर-इधर चूमने लगा, और जोर-जोर से हांफने लगा। मैं भी काफी तेज सांस ले रही थी, और उसके बदन के नीचे दबी हुई थी।

फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे, और अपने-अपने कपड़े पहन कर गाड़ी को जंगल से बाहर निकाले। फिर धीरे-धीरे अपने घर की ओर चल दिए। घर पर पहुंचते ही मां ने हम दोनों का स्वागत किया। पापा घर पर नहीं थे, और भाई पढ़ने गया हुआ था। मैं जाते ही मम्मी से लिपट गई। मम्मी ने मेरे गाल और माथे को चूम लिया‌। फिर जैसे ही मैं हटी, विजय मेरी मम्मी की बाहों में लिपट गया, और मम्मी ने फिर उसके भी माथे को चूम लिया।

मम्मी से वह काफी देर लिपटा रहा। उनकी चूचियों को अपनी छाती में दबाये रहा। मम्मी मेरी अभी भी बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं। उनका शरीर भरा पूरा है, और बदन एक-दम गोरा, और गांड और चूचियां दोनों बाहर की ओर उभरी हुई बहुत ही जबरदस्त लगती हैं।

फिर मम्मी ने मुस्कुराते हुए उसके बालों को सहला कर बोली: बेटा अब छोड़ो मुझे कि ऐसे ही पकड़े रहोगे दिन भर?

फिर विजय ने मम्मी को छोड़ते हुए बोला: क्या करूं सासू मां, आपको देख कर मुझे छोड़ने का मन ही नहीं होता है?

और फिर हम सभी हंसने लगे। फिर हम अंदर गए और मम्मी ने उसे खाना पीना खिलाया।

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