दीदी की सुहागरात के बाद मेरी चुदाई-1 (Didi ki suhagraat ke baad meri chudai-1)

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दोस्तों मेरा नाम रोशनी है। मैं मध्य प्रदेश के एक जिले से हूं। मेरी उमर 23 साल है, और मैं ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में हूं। मेरा रंग ठीक-ठाक है, और फिगर 34-30-36 है।‌ ओवरऑल बताऊं तो मैं एक पटाखा लगती हूं, और बहुत सारे लड़के मुझ पर लाइन मारते है। लेकिन मैंने आज तक किसी को बॉयफ्रेंड नहीं बनाया। इसके दो कारण है। पहला ये कि मेरे घर वाले बहुत स्ट्रिक्ट है, तो डर के मारे मैंने बॉयफ्रेंड नहीं बनाया। दूसरा ये कि मुझे कोई लड़का बॉयफ्रेंड बनाने के लायक नहीं मिला। सब चोद कर छोड़ने वाले मिले।

ये तो हो गई मेरी बात। अब मेरी फैमिली के बारे में बताती हूं। मेरी फैमिली में मेरे अलावा मम्मी, पापा, छोटा भाई, बड़ी बहन, और दादा-दादी है। मेरी बड़ी बहन मुझसे 3 साल बड़ी है, और उसकी शादी पिछले साल ही हुई थी। उसका नाम दिव्या है। जिस दिन उसकी शादी हुई, और सुहागरात हुई, उस दिन मेरी भी सील टूट गई। ये सब कैसे हुआ, वहीं मैं आपको मेरी पहली चुदाई की कहानी में बताने जा रही हूं।

मेरी बहन दिव्या भी मेरी तरह दिखने में सुंदर पटाखा है। हम दोनों बहने थी तो मॉडर्न, लेकिन दोनों ने ही कभी बॉयफ्रेंड नाम की टेंशन नहीं पाली। ऐसा नहीं था कि हमें लड़कों में इंटरेस्ट नहीं था। लेकिन जब बाप का डंडा चलता हो, तो लड़कियां ऐसे काम करने की हिम्मत नहीं करती। तो हम जैसी लड़कियां बन जाती है, शरीफ मैरिज मटेरियल, और सुहागरात की सेज पर अपने पति से अपनी चूत की सील तुड़वाती है।

दिव्या जब जवान हो गई थी, तो पापा ने उसके लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया। टाइम बीतता गया, और फिर एक अच्छा रिश्ता मिला। लड़के वालों को ज्यादा टाइम नहीं लगाना था, इसलिए झट मंगनी और पट शादी वाला सीन हुआ। दीदी की शादी जिससे हुई उस लड़के, यानि कि मेरे जीजा जी का नाम आदित्य है।

जीजू हाइट के लंबे और अच्छे-खासे तगड़े जवान थे। जब मैंने उनको पहली बार देखा, तो मुझे भी कुछ-कुछ होने लगा। लेकिन मैं किसी के खाने पर नज़र नहीं रखती, इसलिए मैंने उनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। फिर शादी की तैयारियां हुई, और शादी भी हो गई।

हमारे परिवार में एक पुश्तैनी रिवाज है, कि जब एक बहन की शादी होती है, तो उसकी अगर कोई कुंवारी बहन है, तो उस बहन को उसके साथ उसके ससुराल जाना पड़ता है 2 दिन के लिए। इस हिसाब से मुझे दिव्या दीदी के साथ जाना था उसकी डोली के साथ।

फिर शादी का दिन आया, और शादी अच्छे से संपन्न हो गई। सारे रीति-रिवाज पूरे करने के बाद डोली निकलने की तैयारी होने लगी। आज कल वैसे डोली तो कहने के लिए ही है, दुल्हन तो दूल्हे के साथ गाड़ी में बैठ कर जाती है। उसी गाड़ी में आगे की सीट पर मैं भी बैठी थी, अपनी दीदी के साथ उसके ससुराल जाने के लिए।

2 घंटे का सफर करके हम दीदी के ससुराल पहुंचे। वहां बड़ा अच्छा स्वागत हुआ हमारा। दीदी के ससुराल वाले अच्छे खासे अमीर थे। उनका घर काफी बड़ा था, और अच्छे से सजाया हुआ था। हम लोग घर के अंदर एंटर हुए तो काफी सारे मेहमान थे अंदर। नई बहु का सब ने दीदार किया, और उसकी खूबसूरती की भी तारीफ करी। कईं लेडीस ने तो मेरी भी तारीफ की। बहुत अच्छा लग रहा था, और मजा भी आ रहा था।

फिर दूल्हा-दुल्हन को एक बड़े से कमरे में सोफा पर बिठा दिया गया। मैं भी उनके साथ के सोफे पर बैठ गई। शायद वो उनका ड्राइंग रूम था। वहां सब घर वाले बैठे हुए थे। फिर एक-एक करके सब ने नई दुल्हन को अपना इंट्रोडक्शन दिया। उसके बाद सब डायनिंग टेबल पर बैठ गए, और वहां सब ने पेट भर के खाना खाया। मुझे भी बहुत भूख लगी थी, और उनके यहां का खाना बहुत स्वादिष्ट था।

उसके थोड़ी देर बाद दूल्हा-दुल्हन को उनके कमरे में भेज दिया गया। मुझे उनके साथ वाले कमरे में रखा गया। दीदी जीजा जी के साथ कमरे में चली गई, और मैं अपने कमरे में आ गई। मैंने अपना बैग खोला, और नाइट सूट पहन लिया। फिर मैं बेड पर बैठ गई। टॉप क्लास बेड था उनका, बहुत ही नरम और आरामदायक।

मुझे नींद नहीं आई थी अभी, तो मैं बैठ कर फोन चलाने लगी। फोन चलाते हुए मेरा मूड बन गया, तो मैंने एक सेक्स वीडियोस वाली वेबसाइट खोल ली, और वहां पर सेक्स वीडियो चला कर देखने लगी। वीडियो देख कर मैं गरम हो गई। मेरे मन में आया कि आज तो दीदी के मजे थे, क्योंकि उनको तो आज लंड मिलने वाला था।

तभी अचानक से मेरे मन में दीदी की सुहागरात देखने का विचार आया। फिर सोचा कि ये गलत होगा। लेकिन फिर सोचा कि ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा, और यहां कौन सा किसी को पता चलने वाला था। ये सोच कर मैं बिस्तर से उठी, और रूम से बिना आवाज किए बाहर चली गई। साथ वाले कमरे में दीदी और जीजा जी थे। उनके कमरे का दरवाजा लॉक था। मैंने दरवाजे पर कान लगाया, तो अंदर से दोनों की बात करने की आवाज आ रही थी। मैं समझ गई कि एक्शन अभी शुरू नहीं हुआ था।

फिर मैं अंदर देखने का कोई जरिया ढूंढने लगी। मैंने ऊपर देखा तो कमरे का रोशनदान खुला था। उस रोशनदान से आसानी से अंदर देख जा सकता था। फिर मैं अपने कमरे में वापस गई, और वहां से एक प्लास्टिक का स्टूल लेके वापस आई। मैंने वो स्टूल दीवार के साथ सेट किया, और उसके ऊपर चढ़ कर अंदर देखने लगी। अंदर दीदी और जीजू बेड पर बैठे हुए थे। दोनों बातें कर रहे थे।

जीजू बोले: दिव्या तुम बहुत खूबसूरत हो। मुझे तो पहली नज़र में ही तुमसे प्यार हो गया था।

दीदी ये सुन कर शर्माने लगी।

फिर वो बोली: मुझे भी आप पहली नज़र में पसंद आ गए थे।

जीजू: मैंने पहले कभी किसी लड़की के साथ प्यार नहीं किया। तुम पहली हो।

दीदी: मैंने भी नहीं किया। आप पहले हो।

जीजू: शुरू करें फिर?

दीदी शर्मा गई। फिर जीजू दीदी की तरफ बढ़े, और अपने होंठ उनके होंठों के साथ लगा दिए।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी की फीडबैक देने के लिए [email protected] पर मेल करे।

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