भाई-बहन सेक्स कहानी अब आगे-
करीब एक घंटे बाद दरवाज़े की कुंडी हल्के से खड़की। दीदी वापस आ चुकी थी। उनका चेहरा थका हुआ लग रहा था, आंखों में हलकी सी नमी और माथे पर पसीना। उन्होंने आते ही अपना बैग ज़मीन पर रखा और सीधे बेड पर बैठ गई। उन्होंने अपनी सफेद शर्ट की ऊपरी बटन खोल दी, और गहरी सांस लेते हुए लेट गई, मानो पूरे दिन की थकान अब जाकर उतर रही हो।
मैंने एक नज़र उनकी ओर देखा और बिना कुछ कहे पानी का गिलास भर कर उनकी तरफ बढ़ा दिया। उन्होंने पानी पीते हुए मेरी आंखों में देखा और हल्के से पूछा, “रात को तुमने मेरा बटन क्यों खोला था और… मेरा सीना छूने की कोशिश क्यों की थी?”
मैं थोड़ी देर चुप रहा, मेरी धड़कनें तेज़ थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या कहूं। दीदी ने मेरी घबराहट भांप ली और मुस्कुराते हुए बोली, “रिलैक्स करो… मैं गुस्से में नहीं हूं। लेकिन तुम्हारा चेहरा देख के लग रहा है जैसे कोई बड़ा अपराध कर दिया हो।”
मैंने धीरे से सिर झुकाते हुए कहा, “पता नहीं दीदी, बस उस पल में खुद को रोक नहीं पाया… मैं डर गया था कि आपने देख लिया होगा और…
दीदी ने बात काटते हुए कहा, “अरे छोड़ो अब… तुम बहुत डरते हो। चलो अब इस बात को यहीं खत्म करते हैं। वैसे मेरी गर्दन बहुत दर्द कर रही है। तुम मसाज कर दोगे?”
मैंने चौकते हुए उनकी तरफ देखा। वो पलंग पर आगे की तरफ बैठ गई, और बालों को साइड में कर लिया, पीठ मेरी तरफ कर दी। मैंने थोड़ा संकोच के साथ उनके कंधे पर हाथ रखा और धीरे-धीरे मसाज शुरू कर दी।
कुछ मिनटों बाद उन्होंने अचानक कहा, “अगर अच्छा मसाज करना है तो ये शर्ट भी उतार देती हूं, नहीं तो कपड़े के ऊपर से कुछ महसूस नहीं होता।”
उन्होंने धीरे-से अपनी सफेद शर्ट पूरी तरह खोल दी और उतार कर साइड में रख दी। अब वो केवल ब्रा में थी, उनकी पीठ और कंधे खुल गए थे। मैं थोड़ी देर तक बिना बोले देखता रहा, फिर अपने हाथों को उनकी पीठ पर धीरे-धीरे फेरते हुए गर्दन और कंधे की मालिश करने लगा।
कुछ देर बाद उन्होंने सिर पीछे घुमा कर हल्के से कहा, “कल रात तुमने मेरा सीना छूने की कोशिश की थी ना… तो आज अगर तुम चाहो तो यहां भी मसाज कर सकते हो। अब डरने की जरूरत नहीं, मैं जानती हूं तुम मेरे अपने हो।”
यह कहते हुए उन्होंने अपनी ब्रा की हुक खोल दी और धीरे-धीरे उसे अलग कर दिया। अब वो बेड पर पूरी तरह नंगी छाती के साथ लेटी थी।
उनकी छातियां गोल, मुलायम और हल्की गुलाबी रंग की छोटी-छोटी टिप्स के साथ बेहद सुंदर लग रही थी। मैंने पहली बार किसी महिला का शरीर इस तरह देखा था और दीदी का शरीर तो मेरे लिए किसी सपना जैसा था।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सच में हो रहा है। दीदी बेड पर लेटी थी, पूरी तरह मेरी तरफ खुली हुई, उनकी छातियां सामने थी। मैं धीरे-धीरे उनके करीब गया, हल्के से उनके सीने की तरफ देखा और कुछ पल के लिए रुक गया।
मैंने धीरे से पूछा, “दीदी… क्या मैं… आपके सारे कपड़े हटा सकता हूं?”
दीदी ने मेरी आंखों में देखा, थोड़ी देर चुप रही, फिर गहरी सांस लेते हुए बोली, “हां… अगर यही तुम्हारी सच्ची ख्वाहिश है, तो मैं मना नहीं करूंगी। मैं चाहती हूं कि तुम्हें मुझसे कुछ भी छुपा ना रहे। आज मैं तुम्हें अपने पूरे शरीर को महसूस करने की इजाज़त देती हूं।”
उनके शब्द सुन कर मेरे अंदर एक तूफान सा उठ खड़ा हुआ। वो धीरे-धीरे बेड पर लेटी-लेटी ही अपने बाकी कपड़े हटाने लगी। उनकी स्कर्ट पहले उतरी, फिर धीरे से उन्होंने अपनी पैंटी भी नीचे सरका दी।
अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी। उनकी जांघें, पेट, और वो हिस्सा जिसे देखने की मैंने कभी सिर्फ कल्पना की थी, अब मेरी आंखों के सामने था। मैं एकटक देखता रह गया।
उनकी योनि हल्के गुलाबी रंग की थी, चारों तरफ से मुलायम और हल्के बालों से ढकी हुई। उसके किनारे थोड़े फूले हुए थे, और बीच में एक पतली सी लाइन अंदर की ओर जाती हुई थी। पहली बार किसी औरत का वो हिस्सा इतने पास से देखने का अनुभव मेरे दिल की धड़कनों को बहुत तेज़ कर रहा था।
मैंने कांपते हुए हाथों से धीरे-धीरे उनकी जांघों के बीच अपनी उंगलियां रखी। जैसे ही मेरी उंगलियां उनकी गर्म त्वचा से टकराई, एक अलग ही नर्मी महसूस हुई — जैसे रेशम को छू लिया हो। वहां की त्वचा गर्म और सेंसिटिव थी, और हल्की सी नमी थी जो उस पल को और भी गहराई दे रही थी।
मैं खुद को और ज़्यादा रोक नहीं पाया। मैंने भी धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिए, और दीदी के ऊपर झुक गया। मेरा शरीर उनके शरीर से पूरी तरह सट गया था। मेरा लंड अब उनके नाज़ुक हिस्से के करीब था। मैंने उसे हल्के से उनकी योनि पर रखा, बिना अंदर डाले, बस उनकी त्वचा को छूते हुए। उस छुअन से मेरी सांसें तेज़ हो गई, और दीदी की भी। उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली और एक धीमी सी सिहरन उनके शरीर में दौड़ गई।
मैंने जब धीरे से अपने लंड को अंदर डालना शुरू किया, तो दीदी का चेहरा एक-दम सिकुड़ गया। उनकी आंखें कस कर बंद हो गई और होंठों से दर्द भरी सिसकी निकली। जैसे ही मैंने थोड़ा और अंदर किया, मुझे गीलापन और कसाव एक साथ महसूस हुआ — लेकिन उसी समय कुछ गर्म और गाढ़ा बहा। मैं चौंक गया। नीचे देखा तो थोड़ा खून बह रहा था।
दीदी की सांसें तेज़ हो चुकी थी, उनका चेहरा दर्द से लाल हो गया था। “रुक… रुक जा… बहुत दर्द हो रहा है,” उन्होंने कांपती आवाज़ में कहा और एक हाथ मेरे पेट पर रखकर मुझे रोकने की कोशिश की। मैं एक-दम सन्न रह गया, तुरंत खुद को पीछे खींचा और उनके पास बैठ गया। उनका शरीर अब भी हिल रहा था, और आंखों में आंसू आ गए थे।
मैंने धीरे से उनका हाथ पकड़ा, “सॉरी दीदी… मुझे नहीं पता था इतना दर्द होगा… मैं…”
उन्होंने मेरी तरफ देखा, जबरदस्ती मुस्कराने की कोशिश की, “मैं जानती हूं… हम दोनों पहली बार कर रहे हैं। लेकिन ये इतना आसान नहीं होता।”
कुछ देर वो चुप रही, फिर धीरे से पास रखी चादर से अपने नीचे के हिस्से को साफ किया। खून की कुछ बूंदें अब भी उनके जांघों पर थी, लेकिन उन्होंने खुद को संभाल लिया था। फिर वो चुप-चाप तकिए पर सिर रख कर लेट गई और मेरी ओर देखा।
“आज नहीं… लेकिन मैं वादा करती हूं, जब मेरा शरीर और मन दोनों तैयार होंगे, मैं तुम्हारे हर सपने को पूरा करूंगी।”
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनके पास लेट गया। मेरा लंड अब भी पूरी तरह खड़ा था, मेरी सांसें भारी थी। दीदी ने धीरे से मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए फुसफुसाई, “शांत हो जाओ… मैं जानती हूं तुम्हें क्या चाहिए।”
उन्होंने धीरे से मेरी जांघ को सहलाया, फिर खुद मेरी तरफ झुक गई, और मेरा लंड हाथ में लिया। उनकी उंगलियां उसकी गर्मी को महसूस कर रही थी। वो झुकी और मेरे लंड को चूमने लगी। मैं सिहर गया। कुछ ही पलों में दीदी ने अपने होठों से उसे अपनी गर्म और मुलायम जुबान से सहलाना शुरू किया। फिर उन्होंने उसे अपने मुंह में लिया। उनके होंठों की गर्माहट, और उनके मुंह की गीली गहराई। सब कुछ इतना नया और तीव्र था कि मैं खुद को संभाल नहीं पाया। मैं उनकी हर गति को महसूस कर पा रहा था।
वो बहुत धीरे-धीरे, प्यार से मेरा लंड चूस रही थी, जैसे हर बार गहराई तक लेकर मेरी आत्मा को छू रही हो। मेरी आंखें बंद हो गई, शरीर में झटके से उठ रहे थे। मैंने दीदी के बालों में हाथ डाला और धीरे-धीरे उनकी गति को महसूस करता रहा। मेरे होंठों से कराह निकल रही थी, और दीदी मुस्कराती हुई उसे और तेज़ी से करने लगी।
कुछ ही देर में मेरा शरीर कांपने लगा और मैंने सिसकते हुए कहा, “दीदी… मैं… मैं अब नहीं रोक पाऊंगा…”
जैसे ही मेरा सफेद पानी उनके मुंह में फूटा, दीदी की आंखें हल्की सी चौड़ी हो गईं, लेकिन उन्होंने एक पल को भी पीछे नहीं खींचा। उनका चेहरा शांत था, होंठ बंद, और मुंह की गहराई में सब कुछ समेटती हुई। उनके गाल थोड़े फूल गए, आंखों में हल्की सी शरारत चमक उठी, और वे मेरी आंखों में देख कर हल्के से मुस्कराईं, जैसे ये पल उन्होंने पूरी तरह अपना बना लिया हो। फिर उन्होंने धीरे से सब कुछ निगल लिया और मुंह को साफ करती हुई मेरी ओर ऐसे देखा जैसे मुझे पूरा जान लिया हो।
इसके बाद दीदी मेरे बगल में आकर चुपचाप लेट गई। उन्होंने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और हल्के से मुस्कराते हुए फुसफुसाई, “.. स्वाद तो कुछ अलग ही था।”
मैं शरमा गया, लेकिन दीदी की आंखों में शरारती चमक थी।
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