भाभी के बेटे ने नदी में चोदा-3 (Bhabhi Ke Bete Ne Nadi Mein Choda-3)

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पिछला भाग पढ़े:- भाभी के बेटे ने नदी में चोदा-2

हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुनीता है। मैं अभी 28 साल की हूं। मेरा रंग गोरा, बदन छरहरा है। किसी का भी मन डोल जाता है मेरे बदन को देख कर। काफी कमसिन कमर है। चूचियों और गांड का उभार काफी ज्यादा बढ़ गया है। मेरे दो बच्चे हैं। एक लड़का जो अभी 6 साल का है, और लड़की अभी 3 साल की है।

इस कहानी के पिछले भाग में अब तक आप पढ़ चुके हैं कि किस तरह मैं अपने भतीजे राहुल के साथ मेला घूमने गई, और वहां पर राहुल भीड़ का फायदा उठाते हुए मेरे चूचियों को मसला, और मुझे गरम कर दिया। फिर मैं घर आकर राहुल से चुद गई, और उसके बाद सो गई। राहुल को फिर भैया ने भेज दिया मौसी के यहां। अब आगे-

जब मैं सुनी कि भैया ने राहुल को मौसी के यहां भेज दिया, तब मुझे लगा कि वह आज रात तो लौटने वाला था नहीं। फिर मैं मन ही मन बहुत उदास हुई, और सो गई। मेरा मन शाम को भी उठने को नहीं हुआ, तो मैं सोई ही रह गई। भाभी मेरे दरवाज़े को पीट रही थी, पर मैंने भाभी से बोल दिया कि मैं थकी हुई थी, आज खाना नहीं खाऊंगी, आप लोग खाकर सो जाइए।

लगभग रात को 11:00 बजे मेरी नींद खुली। तब मैं उठकर देखी कि सब लोग अपने-अपने कमरे में सो रहे थे। सारी लाइट ऑफ थी। मैं नंगी ही उठी, और उठ कर बाथरूम में जाने लगी। हॉल में हल्की-हल्की नाइट बल्ब जल रही थी, जिससे मेरी नंगी दोनों चूचियां चमक रही थी, और गांड का उभार साफ़ पता चल रहा था। परंतु यहां पर इसे देखने वाला कोई था नहीं। तो मैं बिना हिचक बाथरूम में चली गई। बाथरूम में जाकर मैंने लाइट जलाई और पेशाब करने लगी।

जब मैं पेशाब कर रही थी, तब ऐसा लगा जैसे कोई मुझे बाथरूम में चोरी छुपे देख रहा हो। मैं जल्दी से पेशाब की, और लाइट ऑफ करके बाथरूम से निकली। तब देखा कि वहां पर तो कोई था ही नहीं। मैं हॉल से होते हुए अपने कमरे में गई और दरवाजा बंद करके चुप-चाप लेट गयी।

थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कोई आकर मेरे बगल में लेट गया हो। मुझे लगा कि यह राहुल था। उसका नंगा बदन मेरे से स्पर्श होते ही मैं मदहोश होने लगी। उसका बड़ा सा लंड मेरी गांड में टच हो रहा था। उसकी चौड़ी छतिया मेरे पीठ से लग रही थी तो मदहोशी में खोते जा रही थी।

थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरी चिकनी कमर से फिसलते हुए मेरी नाभि पर जा पहुंचा। उसके बाद आगे बढ़ते हुए वह अपने हाथों से मेरी पेट की पुरी मुआयना कर रहा था, और आगे बढ़ते हुए मेरी चूचियों पर जा पहुंचा।

वह अपनी हथेली में पूरी तरह से मेरी चूचियों को भर के मसल दिया। मेरे मुंह से हल्की-हल्की आहे निकलने लगी। मैं उस समय इतनी मदहोश थी, कि मुझे होश ही नहीं कि मेरे साथ कौन लेटा था, और मेरे साथ क्या कर रहा था? जब वह मेरी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा, तब मुझे एहसास होने लगा कि यह हाथ किसी और का था।

जब राहुल मेरी चूचियों को अपने हाथों में पकड़ता था‌। तब मेरी चूचियां उसके हाथों में पूरी तरह नहीं आती थी। लेकिन आज जब किसी का हाथ मेरी चूचियों पर लग रहा था, तो एक बार में पूरी तरह से चूचियों को दबा दे रहा था।

मैं समझ गई कि यह हाथ किसी और का था। मेरी पीठ पर उसके छाती के बाल गुदगुदी कर रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मेरी गांड में बड़ा सा रोड सटाया हुआ था। पूरी तरह से बदन यह अनजान था, जो मेरे शरीर से चिपका हुआ था, और मैं औंधे मुंह लेटी हुई थी, और वह मेरे पूरे बदन को चूम रहा था। कभी मेरे कानों को काटता, तो कभी मेरे कानों के नीचे चूमता, तो कभी गर्दन तो कभी मुलायम गाल को चूमता।

इसी तरह वह मुझे मदहोश करता रहा, पर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं देखना चाहती थी कि आखिर यह कौन था, क्योंकि राहुल तो आज वैसे भी घर पर था नहीं?

तभी उसने कस के मेरी चूचियों को दबा दिया, और मैं चिहुक उठी। मैं उसे धक्का देकर पीछे धकेल दी, और जैसे ही उसकी तरफ पलटी, मेरी तो आंखें फटी की फटी रह गई।

मैं: भैया आप……?

इसके आगे मेरे शब्द ही ना निकले‌। मैं बस उन्हें अपनी फटी आंखों से देखती रही। वह बिल्कुल हृष्ट-पुष्ट शरीर, बलवान जैसा देह लिए मेरे सामने नंगा खड़े थे। उनका बड़ा सा लंड नीचे लटक रहा था। मैं भी उनके सामने नंगी खड़ी शर्मा कर नीचे देखने लगी।

तब भैया मेरे पास आकर, मेरे चेहरे को हथेली में थाम कर, मेरे माथे को चूमते हुए बोले: अरे मेरी लाडो बहन, मैं तो तुम्हारा भाई हूं। मुझसे शर्माती हो और मेरे बेटे से खुल कर चुदाई का मजा लेती हो। क्या मैं तुम्हें खुश नहीं रख सकता? क्या मेरा हक नहीं बनता अपनी बहन को खुश रखने के लिए?

यह बोलते हुए भैया मेरे गालों को चूमने लगे, और मेरे होठों पर दो-तीन लगातार चुम्मी ले लिए। मैं बिल्कुल ही हैरान खड़ी थी, यह जान कर कि भैया को सब पहले से पता था, कि मैं राहुल के साथ क्या करती थी?

मैं उनके सामने एक शब्द ना बोल पाई, और भैया लगातार मेरे गालों को, मेरे होठों को चूम रहे थे। मैं बस उन्हें देखे जा रही थी, और उनके हॉट चुम्मे का आनंद ले रही थी। भैया मेरे चेहरे को चूमते हुए बोले-

भैया: अरे मेरी लाडो बहन सुनीता। मैं तो तुम्हें बचपन से प्यार करता हूं। जब से तुम जवान होने लगी थी तभी से मेरी तो नज़रें तुम्हारे बदन पर टिक जाती थी। तुम्हारी वह सुडौल चूचियां देख कर मेरा तो लंड ही तन जाता था। पर मैं क्या करूं मजबूर था कि तुम मेरी बहन थी, इसलिए मैं कुछ नहीं करता था।

यह कहते हुए भैया अब मुझे बिस्तर पर लिटा चुके थे, और मेरी गर्दन को चूमते हुए मेरी चूचियों के पास आ गए थे। मेरे चूचियों पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिए थे। मैं अपनी आंखें बंद करके मदहोश होकर लेटी हुई थी, और उनसे चूचियों को चुसवा रही थी। फिर भैया ऊपर की ओर बढ़े, और मेरे होंठ को चूसने लगे, और उसके बाद फिर से उन्होंने बोलना शुरू किया, और उन्होंने बताया कि-

भैया: मेरी लाडो बहन सुनीता, मैंने तो तुम्हें कब का चोद देना था। परंतु मैं भाई बहन के रिश्ते को लेकर थोड़ा शर्मा रहा था। जब तुम शादी करके पहली बार मेरे घर आई थी, तब तुम्हारा बदन भर गया था। उसके बाद तुम तो और ज्यादा सेक्सी बन गई थी। मेरा तो मन हुआ कि उसी वक्त तुम्हें चोद दूं, पर मैंने सब्र किया। जब तुम अपनी भाभी के साथ नहाने के लिए नदी जाया करती थी, तब मैं भी वहां छुप कर जाता था, और तुम दोनों को नहाते देखा था, खास कर तुम्हें देखा था। जब तुम अपने कपड़े उतार कर यह भारी-भारी बदन सुडौल चूचियां दिखाती थी। और तुम दोनों हंसी मजाक करते थे। जब भी मैं रात को तुम्हारी भाभी को चोदता था, तो तुम्हें याद करके तुम्हारी भाभी की चूत को चोद लेता था।

भैया के मुंह से ऐसी बातें सुन कर मैं और ज्यादा शर्म से मरी जा रही थी। पर भैया लगातार मेरे चेहरे को चूम रहे थे, तो कभी मेरी चूचियों को मसल रहे थे, तो कभी निपल्स को काट रहे थे। मैं मदहोश हो रही थी। फिर वह नीचे बढ़े और मेरी नाभि में जीभ डाल कर चूसने लगे। फिर पेट को चूमते हुए फिर से बोले-

भैया: मेरी लाडो बहन सुनीता, मैं तो तुम्हें कब का चोदना चाहता था, पर मेरी हिम्मत ही नहीं होती थी। पर तुम जब इस बार आई, और मैंने जब तुम्हें मेले में आज देखा, कि किस तरह तुम राहुल से अपनी चूचियों को मसलवा रही थी उस पार्क में बैठ कर। तब मुझे लग गया था कि तुम दोनों के बीच कुछ दिनों से बहुत कुछ चल रहा था। इसलिए मैंने तुम दोनों का पीछा किया, और तुम्हारी भाभी को बोल दिया था कि मां पिता जी को घर ले आये।

भैया: जब तुम लोग घर आए, तभी मैं घर आ चुका था, और उसके बाद तुम लोगों ने जो भी किया, वह सब मैं आराम से बैठ कर देखा। उसके बाद मैंने प्लान बना कर आज रात के लिए राहुल को घर से बाहर भेज दिया, और उसके बाद मैं तुम्हारे पास आ गया। आज मैं तुम्हारा हूं, और तुम मेरी हो। आज मैं अपनी लाडली बहन सुनीता को जी भर के प्यार करूंगा।

मैं अपने दोनों हथेलियां से अपने मुंह को छुपा ली थी‌। आज भैया की बात सुन कर मेरी बुर कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ने लगी थी, और भैया मेरी जांघों को चूमते हुए मेरी बुर में मुंह लगा कर अपनी जीभ से पूरी तरह से उसे चाट कर साफ कर रहे थे। मैं शर्म से मेरी जा रही थी, कि तभी भैया ऊपर की ओर आये, और मेरे दोनों हाथों को मेरे चेहरे पर से हटा दिए। मैं अपनी आंखें नहीं खोल रही थी, पर उन्होंने मेरे गोरे-गोरे गालों को पकड़ कर अपनी होंठ मेरे होंठ पर रख कर आराम से चूसना शुरू कर दिया।

फिर मैं भी उनके बालों को सहलाने लगी। अब मैं उनके होंठों की चुसाई में साथ दे रही थी। मैं अपनी आंखों को बंद करके उनके निचले होंठ को चूसती, और भैया मेरे ऊपर के होंठ को चूसते। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ को चूस रहे थे, और तभी भैया ने अपने हाथ को नीचे लेकर लंड को पकड़ा और मेरे बुर पर सेट करके धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू कर दिये।

थोड़ी देर में भैया अपने पूरे लंड को मेरी बुर में उतार चुके थे। मेरी आंखों से हल्के-हल्के आंसू आ चुके थे, क्योंकि उनका बड़ा सा लंड मेरी बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया था। उन्होंने मेरे होंठों को इस तरह लॉक किया हुआ था, कि मैं चीख भी नहीं पाई, केवल ऊऊम्म्म्घ्ह्ह् उम्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह् करती रही।

भैया मेरे ऊपर लेटे हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। मैं आंखों को बंद करके उनके पीठ को सहला रही थी, और वह लगातार अपनी कमर को मेरी बुर पर धक्के कर लगा रहे थे। धीरे-धीरे भैया अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ाते है, और वह मेरे होठों को छोड़ मेरे गालों को चूमते हुए मेरे कंधों को पकड़ कर चोदना शुरू कर दिए।

काफी देरी इसी तरह चोदते हुए वह उठे और मुझे पलट दिया। फिर मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा कर फिर पीछे से ही मेरी बुर में अपने बड़े से लंड को पेल दिया, और मेरे कान को चूमते हुए धक्के लगाने शुरु कर दिये।

मेरे दोनों चूतड़ों पर थप थप की आवाज बज रही थी, और सटा सट लंड अंदर जा रहा था, और मेरी चुदाई चरम पर पहुंच गई थी। थोड़ी ही देर बाद मैं झड़ उठी। अअअह्ह्ह्ह भाईया उउफ्फफ्फ्फ़ ह्ह्ह्ह। भैया लगातार तेज धक्के लगा रहे थे। मेरी योनि के पानी से उनका भी लंड पिघल रहा था। मेरी बुर में छप छप की आवाज हो रही थी, और गांड पर थप थप बज रहे थे।

भैया की तेज रफ्तार की चुदाई से मेरी पायल अलग ही सुरीली आवाज में बज रही थी। हम दोनों ही रात में घमासान चुदाई कर रहे थे। तभी भैया अपना गरम लावा मेरी बुर में छोड़ दिये, और वह हांफते हुए मेरे ऊपर ही निहाल हो गए।

काफी देर वैसे ही पड़े रहे। उसके बाद भैया उठे, और अपने लंड को मेरी बुर में से खींच लिए। उन्होंने जैसे ही लंड खींचा, मेरी बुर में से नदी बहनी शुरू हो गई। फिर उन्होंने पास में पड़ी मेरी पैंटी से मेरी पूरी बुर को साफ कर दिया, और अपने लंड को भी साफ करके फिर से मेरे ऊपर लेटे, और मेरी चूचियों को सहलाते हुए मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिए।

भैया: आज अपनी प्यारी लाडो बहन की बुर की चुदाई करके मुझे तो बहुत ही आनंद आ रहा है। जिस शरीर को मैं इतने सालों से देख कर तड़प रहा था, आज उसे चोद कर जैसे मुझे स्वर्ग का एहसास हुआ है।

मैं उनकी बात सुन कर मुस्कुराई, पर कुछ बोल ना सकी। क्योंकि वह मेरे बड़े भैया थे। मैं उनकी बालों को सहला रही थी, और वह मेरे चूचियों के निपल्स को अपने जीभ से सहला रहे थे? उस रात हमने एक बार फिर से चुदाई की, और इस बार थोड़ी लंबी चुदाई की। फिर सुबह हो गई तो भैया अपने रूम में चले गए। मैं भी उठ कर नहाने चली गई। तभी भाभी भी जाग चुकी थी। हम दोनों तैयार होकर नाश्ता बनाना शुरु करती है कि तभी सुबह-सुबह ही राहुल चला आया।

राहुल थोड़ा नाराज सा लग रहा था, क्योंकि उसे बहाना बना कर जो भेजा गया था। लेकिन भैया आज बहुत ही खुश लग रहे थे, क्योंकि आज उन्होंने अपनी बहुत ही प्यारी बहन की बुर की चुदाई की थी। मैं भी उन्हें देख कर मुस्कुरा रही थी।

नाश्ते की टेबल पर सभी नाश्ता कर रहे थे, कि तभी भैया बोले: राहुल आज तो तुम्हारा कॉलेज होगा, तुम तो चले जाओगे।

तभी उन्होंने भाभी से कहा: तुम आज खाना लेकर खेत पर मत आना। तुम सुनीता के हाथों भेज देना। आज थोड़े मेरे कपड़े हैं, उन्हें धो देना तुम।

मैं भैया की चाल को समझ गई थी। वह भाभी और राहुल को काम पर लगा दिए थे, और मुझे अपने पास खाना लेकर इसलिए बुला रहे थे, ताकि वह मेरी खेत पर जम कर चुदाई कर सके। मैं भी उनकी यह चतुराई से मुस्कुरा दी।

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