मेरी आंटी मेरी पड़ोसन-3 (Meri aunty meri padosan-3)

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दोस्तों आपने मेरी हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में पढ़ा, कि मैं पड़ोसन आंटी को अपने दिल की बात बता चुका था। फिर मैंने उनको अपना माल पिलाया, और उनकी चूत का पानी पिया। अब आगे-

आंटी ने फिर मेरे सिर को पकड़ के अपने मुंह पर लाया, और मुझे बड़ी खतरनाक तरीके से स्मूच कर रही थी, मानो उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा सुख मिल गया हो।

अब आंटी भी खुश थी। कभी नहीं सोचा था उन्होंने कि कभी इस प्रकार उनकी चुदाई की शुरुआत होगी। क्योंकि आज तक बस उनकी चुदाई उनके पति ने की थी, वह भी साड़ी और पेटीकोट उठा कर। चूत की चटवाई, लंड का चुसवाना, ये आज तक उनकी जिंदगी कभी नहीं हुआ।

आंटी: वाह, आज तो मजा आ गया। बस अब यह तेरा लंड कब अपनी चूत में लूं? कब उसके पानी से मेरे चूत को जवान बना दूं? अब रहा नहीं जा रहा। आ अब चोद इस बुढ़िया को। अब रहा नहीं जाता। लेकिन आराम से, इस चूत में लंड गए जमाना हो गया है। तो इसे अपनी बीवी की चूत समझ के मत चोदना कहीं, मर-मरा जाऊंगी मैं। बस आराम से, प्यार से।

मैं: बस कर साली, तू तो ऐसा बोल रही है जैसे जिंदगी में पहली बार लौड़ा लेगी। चल आजा बिस्तर पर अपना खेल शुरू करते है।

आंटी ने मेरे सामने अपनी कमर को उठा कर अपने पेटीकोट को अपने जिस्म से अलग कर दिया। अब तो पूरी नंगी हो गई थी वो। पसीने से भीगा उसका बदन, कमर पे काला धागा बंधा हुआ, माथे पर छोटी सी लाल बिंदी, माथे पे लाल सिंदूर, बड़ी-बड़ी आंखे, उनमें काजल, गले में सोने का मोटा मंगलसूत्र, दोनों पैरों में चांदी की पायल, हाथों में हरे रंग की कांच की चूड़ियां, खुले बाल, गहरी काली नाभि, कानों में मीडियम साइज की सोने की इयररिंग, उसके बड़े और लटके हुए मम्मे, उन पर काले बड़े बड़े निप्पल, चूत पे हल्की झांटे, और उन पर उसकी चूत का चिपका पानी, क्या क़यामत लग रही थी।

अब देरी करना यानि अपने लौड़े को सजा देने जैसा था। मैं उनकी दोनों टांगों के बीच आ गया। फिर उनकी दोनों टांगों को मोड़ कर फैला दिया, और अपने लौड़े को उनकी चूत को ऊपर से नीचे रगड़ने लगा। आंटी सिसकियां ले रही थी, और उनकी सिसकियां धीरे-धीरे बढ़ने लगी।

आंटी‌ (भड़कते हुए): अबे क्यूं सता रहा है? डाल ना अब, कब से खुजली हो रही है मेरी चूत में।

जैसे ही आंटी ने कहा, मैंने सिर्फ अपने लौड़े का टोपा उनकी चूत में पेल दिया। आंटी सिसकियां ले रही थी। तब मैंने अपना आधा लौड़ा उनकी चूत में डाल दिया। उनके मुंह से चीख निकल गई, और वह झटपटाने लग गई, और गर्दन हिला कर ना-ना बोल रही थी। लेकिन मैं भी बड़ा हरामी हूं। मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकाला, और उनके मुंह में मुंह डाल कर उने चाटने लगा। जैसे मुझे लगा वह थोड़ी रिलेक्स हो गई, मैंने उसी हालत में अपना लंड उनके चूत पर सेट किया, और पूरी ताकत से एक झटका मारा।

आंटी की तो दर्द के मारे चीख निकल गई। लेकिन वो चिल्ला नहीं सकी, क्यूंकि उनके मुंह को मैंने अपने मुंह डाल रखा था। लेकिन उनकी आंखे बड़ी-बड़ी हो गई थी, जिसमें अब आंसू आ रहे थे। उनके मुंह पर दर्द साफ दिख रहा था। वो इशारे से मुझे कह रही हो बस हो गया, अब अपना लंड निकल ले। मुझे नहीं चुदाना है।

उमर के इस पड़ाव में ऐसा दर्द तो होता ही है। जिंदगी में चाहे आपने अपनी चूत में हजारों बड़े-छोटे लंड लिये होंगे, लेकिन इस उमर में चूत में उंगली भी बड़ी लगती है।

मैंने अब धीरे-धीरे उनकी चूत चोदनी शुरू कर दी। एक-दम धीरे-धीरे, लेकिन उनके दर्द में कोई कमी नहीं आ रही थी। सच कहूं तो मुझे क्या पता उसकी वह हालत देख कर और भी जबरदस्त चुदाई करने का दिल कर रहा था।

लंड पूरा चूत में समा गया था। बड़ी आसानी से पूरा अन्दर-बाहर जा रहा था। आंटी की चूत का पानी जैसा किसी लावा रस जैसा था, एक दम गरम, और उनकी चूत मानो एक गरम भट्टी बन गई हो। मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी के हाथ पकड़ लिये (कहीं वो मुझे धकेल कर मुझसे छूट ना जाए),‌ और उनकी जांघों को अपनी जांघों से जकड़ कर अपने लंड की रफ्तार धीरे-धीरे उनकी चूत में बढ़ा रहा था। जैसे ही मैंने उनके मुंह से अपना मुंह हटा दिया,
आंटी चीखते हुए बोली-

आंटी: साले हरामी, निकाल अपना लौड़ा। मुझे नहीं चुदवाना, बहुत दर्द हो रहा है‌। ऐसा दर्द तो मुझे अपनी सुहागरात में भी नहीं हुआ था। उई उई मर गई, आह बस आह उफ्फ ना अभी कभी नहीं चुदवाउंगी।

मैंने उनसे बोला: बड़ा चुदवाने का शौक था ना तुझे? अब मिटा अपनी खुजली। तुझे भी पता है अब जब तक मेरा लंड तेरी चूत में पानी नहीं छोड़ेगा, तब तक यह बाहर नहीं आने वाला। इसलिए शांति से मजे ले, और मुझे भी तेरी चूत ठोकने दे।

आंटी बोली: बेटा जरा दया कर मुझ पर। इस ढीली चूत को क्या पता था कि इस उमर में सख्त लौड़ा ले नहीं पाएगी। मैं तो जोश-जोश में चुदवाने आ गई। उई मां, जरा धीरे, दर्द हो रहा है।

अब मैंने भी सोचा आगे भी अगर चोदना है, तो अभी सब्र करना पड़ेगा। तब कहीं धीरे-धीरे उन्हें चोदने लगा। उनके मम्मे मुंह में लेकर चूसने लगा। अब उन्हें धीरे-धीरे मजा आने लगा। वह सिसकियां ले रही थी, और आंखे बंद कर बड़बड़ा रही थी।

आंटी: उफ्फ आह, अब मजा आ रहा है। ऐसे ही करो आह, और थोड़ा अंदर डालो। आह उफ्फ जीवन में कभी नहीं सोचा था कि इस उमर में भी लौड़ा लूंगी कभी।

और आंटी ने अब मुझे जकड़ना शुरू कर दिया। उनके नाखून मेरी पीठ पर चुभना शुरू हो गये। आंटी और मैं पसीने से भीगे हुए थे। आंटी की सिसकियां और दोनों की जांघों से जो ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी।‌ अब तो मानो आंटी पूरी जानवर बन गई थी। उन्हें वो दर्द अब मीठा लगने लगा था। वो गालियां देते हुए मेरा लौड़ा अंदर तक ले रही थी।

मैंने आंटी की टांगों को हवा में सीधे रख कर अपने कांधे पे लिया, और पूरा लंड निकाल के फिर से उनकी चूत में दे मारा। आंटी धीरे से चीखी, लेकिन इस बार चीख लंड के सुख के लिए थी। मैं आंटी की चूत चोदने लगा, और उनकी टांगों को चाटने लगा।‌ जैसे-जैसे मैं उनकी चूत में लंड अंदर-बाहर करता, वैसे उनकी पायल और चूड़ियों की आवाज हमारे कमर के झटकों की वजह से रिदम में बजने लगी।

पूरा कमरा थप-थप, चूड़ियां और पायल की आवाज से गूंज रहा था। ऊपर से आंटी की चूत से जो पानी आ रहा था, उसकी मादक खुशबू माहौल और रंगीन बना रही थी।

अब मैंने आंटी से कहा: आंटी जब मजे लेने है तो पूरा लो।

और यह कह कर मैं उनके ऊपर से उठ गया, और खुद लेट कर आंटी से कहा: जिंदगी में आज तक चूत में लंड लिया है। लेकिन आज लंड को अपनी चूत में लो।

यह कह कर आंटी को अपने ऊपर ले आया। आंटी बहुत जोश में थी। उसने कुछ ज्यादा सोचा नहीं, और सीधे मेरे लंड को अपनी चूत पर लगा कर उसे अंदर लेने के लिए जोर लगा दिया। मेरा पूरा लंड आंटी की चूत के पानी से भीगा था, और उसका यह परिणाम हुआ के मेरा पूरा लंड आंटी की चूत के जड़ तक चला गया, और आंटी बहुत जोर से दर्द के मारे चिल्ला उठी। मेरी तो गांड ही फट गई के हुआ क्या था। आंटी मेरी छाती से लिपट कर दर्द से रो रही थी।

मैंने आंटी से कहा: अरे छिनाल, क्या कर रही है तू? तुझे तेरी हालत का पता है, फिर भी एक ही बार में तुझे पूरा लौड़ा चाहिए। मादरचोद तेरा पति बाजू वाली रूम में सो रहा है, कही जाग गया तो इस हालत में हम दोनों की गांड फाड़ देगा तेरा पति।

आंटी ने मुझे देखा। उनके चेहरे पे दर्द तो था, लेकिन पूरा लंड एक ही बार में लेने की खुशी भी थी। आंटी अब मेरे लौड़े पे धीरे-धीरे ऊपर-नीचे बैठक मार रही थी। मैंने उठ कर उनके निपल्स बारी-बारी मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। आंटी भी धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाने लगी। अब उन्हें भी मजा आ रहा था।

मैंने आंटी से बोला: अगर आप की चीख सुन कर अंकल जाग जाते, तो क्या करते?

आंटी सिसकियां लेते हुए बोली: उफ्फ आह, तेरे अंकल, उफ्फ की मां की चूत मजा आ गया। आह आह मैं क्या डरती हूं उनसे? ऐसे लंड के लिए तो उनके सामने भी, उफ्फ उई मां, रोज चुद जाऊं। आह क्या लंड है तेरा, मार दिया मुझे। कितनी बार झड़ी हूं पता नहीं आह आह!

मैं बोला: अगर तेरी गांड में इतना ही दम है, तो आजा अंकल के सामने चुदवा।

फिर आंटी बोली: देख मुझे चैलेंज मत कर।

मैंने कहा: जो नहीं हो सकता वह मत बोल।

आंटी ने मुझे देखा और सीधे मेरे लंड पे से उठ गई, और मेरा हाथ पकड़ के बेडरूम की ओर चल दी। हम पूरी तरह से नंगे थे। अगर इस हालत में अंकल हमें देख लेता, तो वही हार्ट अटैक आ जाता। लेकिन आंटी को बहुत कॉन्फिडेंस था अंकल की दवाई पर कि एक बार ले ले तो अगले दो-चार घंटे तक अंकल उठेंगे नहीं।

अब मैंने भी सोच लिया जब इस बुढ़िया को डर नहीं, तो मैं क्यू डरुं। आंटी को अंकल पास बिस्तर पे पटक दिया। फिर आंटी से कहा: सोच लो एक बार फिर।

आंटी हंसते हुए मेरे लंड को चूमते हुए बोली: जैसा चोदना है वैसा चोद। मुझ पर दया मत दिखाना। बस अब तेरी जैसी इच्छा है वैसे पेल मुझे।

मैंने अंकल के सिर के नीचे से तकिया लेकर आंटी की गांड के नीचे लगाया, और उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पे लेकर अपने लंड को आंटी के चूत से लगा कर एक जोरदार झटका मारा। आंटी ने जोरदार चीख मारी, लेकिन मैं अपने लंड को दनादन उनके चूत पे मार रहा था। आंटी चीखे जा रही थी। मैं उनको गालियां दे रहा था-

मैं: ले मादरचोद, और चाहिए ना तुझे जवान लौड़ा। ले अब अब साली रंडी! पता चला ना कि लंड क्या होता है?

आंटी की पायल चूड़ियां बजे जा रही थी। यहां आंटी की चीखें सिसकारियों में बदल रही थी।

आंटी बोल रही थी: और पेल, और डाल, अंदर तक डाल। बड़ा मजा आ रहा है पति के सामने चुदवाने में।

मैंने कहा: मेरा मन तो करता है कि तेरी बहू के सामने तेरी चूत मारुं। उसे भी पता चले कि उसकी सास कैसे मजे लेती है इस उमर में।

आंटी: भड़वे मेरी बहु पर भी नज़र है तेरी? कमिने कैसा मादरचोद है तू साले। तेरा बस चलें तो हम सास-बहु को साथ में चोदगा तू।

मैं: क्यूं नहीं रंडी। आखिर चूत तो चूत है। फिर वो तेरी बहू की हो या तेरी।

अब कमरे में चुदाई की रफ्तार बढ़ चुकी थी। थप थप थप, चूड़ी और पायल की खन-खन, हम दोनों के मुंह से आती हुई गालियां सिसकियां, और चूत से आते पानी का मदहोश करने वाली खुशबू। पूरा कमरा बस चुदाई में जैसे खो गया था।

आंटी चिल्ला रही थी: मेरा आ रहा है। फिर से आ रहा है। उफ्फ मार दिया, हाय मर गई मैं। और कस के लौड़ा डाल अंदर।

मेरी भी हालत खराब हो रही थी, मानो आज मेरा लंड आंटी की चूत की गर्मी फाड़ देगी।‌ इतनी गर्मी के एक साथ दो लंड भी पिघल जाए आंटी की चूत में।

मैं: साली रंडी, मेरा भी पानी आ रहा है। कहां निकालू? जल्दी बोल रंडी!

आंटी: भड़वे चूत में ही निकाल अह उफ्फ आह आह आ उई आह। मेरा आया मेरा आया।

ये बोल कर उसने अपना मुंह खोल कर मेरा मुंह अंदर डाल दिया, और मेरे पीठ में नाखून गड़ा दिया। अपने पैरों को मेरी कमर में जकड़ के अपना पिछवाड़ा उठा-उठा कर मेरा पूरा लौड़ा अंदर लेकर अपना पानी छोड़ रही थी। अब हालत ऐसे थे कि मेरा भी लंड फटने वाला था, और आंटी की चूत की गर्मी अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।

आंटी की चूत मुझे पानी निकालने पर मजबूर कर रही थी। तो मैं भी जोर-जोर से पूरी ताकत के साथ अपना लौड़ा उसकी चूत में दे रहा था। मानो आंटी की चूत मेरे लौड़े को पूरा निगल कर मानेगी। आखिर में मैंने आंटी को तेरी मां की चूत, तेरी मां का भोसड़ा, बोल कर आंटी की चूत में पानी छोड़ दिया।

अगले पांच मिनट हम एक-दूसरे पे ऐसे नंगे पड़े रहे। एक-दूसरे को हल्के श-हल्के स्मूच दे रहे थे। जब मेरा लंड आंटी की चूत से सिकुड़ कर बाहर आया, तब हम अलग हुए। उस वक्त आंटी मानो पूरी जन्नत की सबसे खूबसूरत हूर नज़र आ रही थी।

बिस्तर पड़ा उनका नंगा शरीर, बाल बिखरे हुए, दोनों पांव फैले हुए, उनकी चूत से बाहर आता हम दोनों की वासना से भरे पानी की धार, उनकी कमर का काला धागा, जो अब उनके गहरी काली नाभि के पास आया हुआ था।

हांफने की वजह से उनके दोनों मम्मे ऊपर-नीचे हो रहे थे, उस पर काले घने और बड़े-बड़े निप्पल, होंठ हल्के सूजे हुए, आंखे ऊपर, उसमें से आते आंसू, जो परम सुख एहसास के थे, और आंखों का काजल जो आंखों के आस-पास फैल गया था।

आंटी ने मुझे पास बुला कर कहा: आज रात हम फिर मिलेंगे।

और यह कह कर मुझे स्मूच करते हुए मेरे मुंह में अपनी जुबान फेर दी। तो कैसी लगी कहानी आप मुझे G-Chat पर बता सकते है। मेरा ईमेल आईडी [email protected] है

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