पड़ोसी लड़कों की हवस का शिकार हुई छोटी बहन-2 (Padosi ladkon ki hawas ka shikar hui chhoti behan-2)

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पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी लड़कों की हवस का शिकार हुई छोटी बहन-1

आपने पिछली सेक्स कहानी को तो पढ़ ही लिया होगा। उस कहानी से आपको ये पता चल गया होगा कि अमर और समर दोनों मेरे पड़ोस में रहने वाले दो भाई थे। उनका छत हमारी छत से सटा हुआ था। मतलब हम सब एक-दूसरे की छत पर आराम से आ-जा सकते थे।

वो दोनों रात में हमारी चुदाई को देख चुके थे, और वो दोनों भी इस बात को छुपाने के लिए सपना को चोदने का प्रस्ताव मेरे सामने रख दिए। मुझे ना चाहते हुए भी उनकी बात माननी पड़ी, और रात को चुदाई का प्लान बनाना पड़ा। आगे की कहानी-

वो दोनों रात होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि वो सपना की जवानी को लूट सकें। सपना और विनय भी रात होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि सपना, विनय और मैं तीनों सपना के साथ आखिरी रात की घमासान चुदाई कर सकें। पर मैं दिन ना बीतने की सोच रहा था। क्योंकि मुझे पता था कि आज रात क्या होने वाला था। पर दिन ढलने को कौन रोक सकता है? और ऐसे ही शाम हुई, और फिर रात भी हुई।

फिर विनय सपना और मैं परिवार के साथ खाना खाए, और प्लान के अनुसार सपना सबसे पहले छत पर बने उसी रूम में चली गयी जिसमें कल चुदाई हुई थी। फिर हम दोनों के आने का इंतजार करने लगी। पर आज का प्लान था कि हम लाईट बुझा कर पहले चुदाई करेंगे।

फिर मैं ऊपर छत पर गया, और विनय अभी नीचे ही था। पर मैंने विनय को अमर और समर वाली बात बता दी थी। तो वो भी मान गया कि आज दूसरे लड़कों के साथ वो भी चुदाई करेगा। और वैसे भी उसे क्या फर्क पड़ता? कौन सा उसकी बहन चुद रही थी। मैंने विनय को बोल दिया था कि तुम 10 मिनट बाद आना और विनय ने वैसा ही किया।

इधर सपना अंधेरे में मेरा और विनय का इंतजार कर रही थी। तभी मैं और अमर दोनों एक साथ कमरे में आए। और फिर चुपके से समर भी अंदर आया। कमरे में अंधेरा होने की वजह से सपना को कुछ दिखा ही नहीं। और मैंने पहले ही समझा दिया था कि तुम दोनों कुछ भी बोलना मत ताकि सपना को पता ना चले। उन दोनों ने मेरी हर बात का ध्यान रखा था, और वो दोनों चुप-चाप थे।

कमरे में सन्नाटा था। क्यूंकि अमर-समर दोनों सपना से अंजान थे। तो वो दोनों चुप-चाप खड़े थे। अगर कमरे में कुछ था तो हम सबकी परछाई। सपना की परछाई हम तीनों को दिख रही थी। सपना के गठीले गदराए बदन पर लटके रसीले चूचों का उभार साफ पता चल रहा था। ये देख अमर और समर दोनों पागल हो गए। वो दोनों मुझसे इशारे में पूछे। तो मैंने इशारे में बोला कि आवाज मत करना। और वो दोनों ऐसा ही किए और दोनों सपना पर टूट पड़े।

अमर सपना के आगे आया, और अपने होंठ सपना के होंठों पर रख दिए, और अपने एक हाथ से सपना के बाल सही करने लगा। दूसरे हाथ उसने सपना के चूचों पर रख दिया, और हल्के-हल्के हाथों से उसे दबाने लगा। उधर समर सपना के पीछे गया, और सपना की गर्दन पर मन्द-मन्द फूंकने लगा, ताकि सपना मदहोश हो जाए। फिर समर का एक हाथ सपना की गांड पर सीधे गया, जो सपना की गांड की गोलाई नापने में लग गया। दूसरा हाथ वो सपना की चूत के पास लेकर चला गया।

अब सपना की हालत उन दोनों के बीच सैंडविच में आलू की तरह थी। दोनों अभी-अभी तो सपना की जवानी का जायजा लेना शुरू ही किए थे, कि दोनों के लंड सलामी देने लगे। वो दोनों बहुत कुछ बोलना चाह रहे थे। सपना की तारीफ करना चाह रहे थे। पर वो चुप थे, ताकि सपना को पता ना चले।

करीब 5-10 मिनट तक इसी पोजीशन में वो दोनों सपना के अंग-अंग का जायजा लिए और मजे लिए। वो दोनों खुश थे कि जिस लड़की को वो कभी दूर से देखते थे, आज वो पटाखा उनके कब्जे में थी। जिन बड़ी-बड़ी चूचियों को वो बारिश में भीगे कपड़ों के अन्दर देखते थे, आज वो चूचियां उनके हाथों में थी। जिस गांड को कभी सोचे भी नहीं थे कि बजाने को मिलेगा, आज उस गांड की गोलाई को अपने हाथों से नाप कर आनंद ले रहे थे।

कुछ ही समय बीता था, कि सपना की जवानी उबाल मारने लगी। जो कुछ अमर और समर से छुपा था, वो अब उनकी आंखो के सामने हो रहा था। सपना की बड़ी-बड़ी चूचियां अब टाईट होने लगी, और चूचियों के ऊपर का निप्पल अब चोटी की तरह खड़ा हो गया। ये माजरा टी-शर्ट के अन्दर और ही मदहोश करने के लिए काफी था।

सपना के जिस्म में सनसनाहट सी बिजली दौड़ गयी, और उसके हर एक अंग में हलचल सा मच चुका था। सांसे बढ़ चुकी थी, जिस वजह से चूचियां ऊपर-नीचे होने लगी। ये सब माजरा देखते ही अमर और समर दोनों अपने अन्दर के हवस को रोक नहीं पाए, और उनके अन्दर की ज्वाला फूट गयी। वो दोनों अपना आपा खो बैठे और जोश जोश में बोल बैठे…

अमर: अरे बहनचोद, इतने बड़े-बड़े चूचे हैं साली के कि हाथ में ही नहीं आ रहे।

समर: भैया चूतड़ देखो साली के। कद्दू भी फेल कर दी है साली ने।

सपना: विनय भैया, राजू भैया आप ऐसा क्यूं बोल रहे?

मैं: थोड़ा पास आकर। अरे कुछ नहीं आज आखिरी रात है ना, तो आज तुम्हारी तारीफ भी करेंगे और गाली भी देंगे, और चोदेंगे भी, तो ज्यादा मजा आएगा।

सपना: भैया पर ये आपकी आवाज को क्या हुआ?

मैं: अरे नहीं आज विनय की आवाज बदल गयी है। गले में खराश हो गया है।

सपना: पर भैया आज आपके हाथ की पकड़ भी अलग लग रही है। इतना कस कर क्यूं पकड़ रखा है भैया? लाईट जलाओ भैया।

समर: चुप मादरचोद, रोज चुदती थी तब नहीं आवाज़ मेरी बदलती थी। आज मुझे गले में दिक्कत है तो ज्यादा उछल रही है। आज आखिरी रात है बहनचोद चुप-चाप लेटी रह। आज तुम्हारी चूचियों को भींच डालूंगा। चुपचाप रह मादरचोद। रंडी साली मुझे अंधेरे में आज तेरे छेद नहीं मिल रहे।

सपना: भैया लाईट जलाओ ना, मिल जाएगा छेद। पर थोड़ा धीरे-धीरे दबाओ ना भैया।

अमर: जलाओ बे लाईट जलाओ जल्दी, साला अब बर्दाश्त नहीं हो रहा मुझसे। इसकी चूत की खुश्बू लेनी है मुझे।

समर: भाई मुझे तो इसके रसीले चूचे पीने है। साली के बहुत बड़े-बड़े हैं। इतने बड़े चूचे तो मैंने सपनों में भी नहीं देखा था। भाई आज तो मैं इसके चूचों को भी चोदूंगा।

मैंने अमर को पास आकर बोला: लाईट जलाने से पहले चूत चोद लो। वरना अगर वो जान गयी, तो शायद कुछ नहीं कर पाओगे।

अमर: भाई थोड़ा तो मजा ले लेने दो। बाकी मैं देख लूंगा कैसे इसको झुकाना है।

मैं: ठीक है भाई, पर कम से कम कपड़े तो निकाल दे इसके, और अपने भी निकाल ले। ताकि अगर जान भी जाए, तो वक्त ना लगे लंड को चूत पर सेट करने में, और तुरन्त डाल देना।

मेरी ये बात अमर को तो नहीं समझ आयी, पर समर को समझ आ गयी। समर ने अब देर नहीं की। वो जल्दी से सपना के लोअर को नीचे कर दिया, और जल्दी से अपने कपड़ों को भी निकालने लगा।

विनय: लाईट जलाऊं क्या भाई? तैयार हो?

समर: अरे रूक जाओ भाई। अभी जला देना, थोड़ा सब्र कर लो। कपड़े तो निकाल लेने दो। और छेद भी तो ढूंढ लेने दो।

कुछ सेकंडों में ही समर को सपना की चूत का छेद मिल गया। और तभी समर सपना की कमर को कस कर पकड़ लिया, और उसे अपनी गोद में लेकर बेड पर बैठ गया।फिर अपने लंड को सपना की चूत के छेद पर रख कर हल्का सा सपना को कमर पर पकड़ कर ऊपर किया, और फिर नीचे बैठाया।

इससे समर के लंड का टोपा सपना की चूत में घुस गया, और फिर ऐसे करके दो-तीन बार में अपना 7 इंच लम्बा 2 इंच मोटा लंड सपना की चूत में आधा घुसा दिया। उसने सपना के बड़े-बड़े चूचों को कस कर मसलना शुरू किया तो सपना खूब तेज चिल्लाई उइइइइईईईईईईईई मां मर गइइईईईईईईईईई, और रोते हुए बोली भैया लाईट जलाओ।

समर: रूक जा भाई, अभी लाईट मत जलाना।

पर सपना की तेज चीख सुन कर विनय से ये देखा नहीं गया, और जैसे ही विनय ने लाईट जलाया, पूरे कमरे में उजाला हो गया। उजाला होते ही विनय सपना के नजरों के सामने खड़ा था। बाकी हम तीनों में अमर और मैं सपना के पीछे खड़े थे, और समर सपना को अपने ऊपर बिठाया था। जब तक सपना पीछे मुड़ कर हम सब को देख पाती, विनय ने लाईट फिर से बन्द कर दिया। और उसी बीच समर ने एक जोर का झटका मारा, तो उसका पूरा लंड सपना की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।

लंड के अन्दर घुसते ही सपना चीखने-चिल्लाने लगी, और उछलने लगी, छटपटाने लगी, और बोलने लगी कि अपना लंड निकालो भैया। वो अभी भी देख नहीं पायी थी कि उसकी चूत में मेरा लंड नहीं बल्कि पड़ोस में रहने वाले समर का था। क्यूंकि उसके पीछे देखने से पहले ही विनय ने लाईट बन्द कर दिया था।

इधर समर की पकड़ और तेज होने लगी थी। वो अपने लंड को अब सटासट-सटासट सपना की चूत में पेले जा रहा था, और बड़े-बड़े चूचों को मसले जा रहा था। और करीब 5 मिनट इसी पोजीशन में चोदने के बाद वो सपना को लेकर लेट गया। अब सपना पीठ के बल उसके ऊपर लेटे हुए चिल्ला रही थी, और वो अपने लंड को सटासट चूत में पेले जा रहा था। चूत से सटसट सट सट सटसट की आवाज निकल रही थी, और चूचियां ऊपर नीचे लपर लपर लपर लपर हो रही थी। चूचियां हिलोरे मारते हुए झूम रही थी।

तभी समर ने सपना की चुदाई करते-करते ही उसके चेहरे को पीछे किया और किस्स करने लगा, तो सपना मुंह हटाने लगी। तो समर तुरन्त चुदाई रोक कर पोजीशन बदल लिया, और अब सपना के ऊपर चढ़ गया। सपना के ऊपर चढ़ते ही समर ने सपना के होठों पर किस्स किया, और चूचियों को मसल-मसल कर पीना शुरू किया।

जैसे ही उसने अपने लंड को सपना की चूत के फांकों के बीच अपने लंड को सेट किया, तुरन्त उसने बोला कि भाई लाईट जला दो। विनय ने तुरन्त लाईट जला दिया। लाईट जलते ही समर ने एक जोर का झटका सपना की चूत में मारा, और लंड को सपना की हलक तक गप्प से पहुंचा दिया। सपना की आंखे दर्द की वजह से बन्द हो चुकी थी पर मुंह से उइइइइइईईईईईईईईईई मां फाड़ दिया की आवाज निकल गयी और आंख से आंसू निकल गए।

पर आंखे बन्द होने की वजह से वो अभी देख नहीं पायी थी कि उसकी चुदाई कोई और कर रहा था। जब तक वो आंखे खोलती, तब तक समर ने 8-10 झटके गपागप गपागप गपागप गपागप और लगा दिए थे, और सपना के होठों को पीने लगा था। वो भी अब थोड़ी सी मदहोश हो ही गयी थी, पर उसने जैसे ही आंखे खोली। उसकी आंखे खुली की खुली रह गयी। क्यूंकि उसकी जवानी मैं नहीं बल्कि समर लूट रहा था।

सपना खुद को छुड़ाने का प्रयास करने लगी, पर तब तक समर सपना को अपनी बाहों में कैद कर चुका था, और समर के लंड ने सपना की चूत में अपना झंडा गाड़ना शुरू कर दिया था। सपना चारों लोग को देख कर अपनी चूचियों को छुपाना चाह रही थी, पर समर के हर झटके में सपना की चूचियां झूम रही थी, जिस वजह से सपना के खुद के हाथों में उसकी चूचियां पकड़ में नहीं आ रही थी।

ये सब चल ही रहा था तब तक अमर अपना लंड हिलाने लगा। तो समर ने बोला, “भाई अभी रूक जा, अभी ये मेरी है।” और ये कहते हुए धक्के मारने लगा। आगे क्या हुआ जानने के लिए बने रहें। क्या अमर और समर दोनों सपना को बजा पाएंगे? क्या समर सपना की चूत में अच्छे से खेती कर पाएगा?

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