पिछला भाग पढ़े:- पापा की परी से पापा की दुल्हन
हेलो दोस्तों, मेरा नाम प्रिया है, और मेरी उम्र 24 साल है। मैं अभी कॉलेज में पढ़ती हूं। मेरा रंग गोरा और बदन छरहरा है। मेरा फिगर 34-30-34 है। इसके पिछले पार्ट को अगर आपने पढ़ा होगा तो आपको इस कहानी के बारे में पता चल गया होगा। अब आगे के बारे में मैं बताती हूं।
कल करवा चौथ होने वाला था, और मम्मी अभी तक नानी के यहां से नहीं लौटी थी। पापा थोड़े परेशान लग रहे थे।
मैं: पापा आप मम्मी से बात क्यों नहीं कर लेते, कि वह आएंगे या नहीं?
पापा: बेटी मैं तुम्हारे मम्मी से बात किया, पर वह बात को बस टाल रही है। लगता है इस साल भी करवा चौथ मैं नहीं मना पाऊंगा।
मैं: पापा आप परेशान ना हो, मम्मी कल तक वापस आ जाएंगी।
पापा: हां बेटा, उम्मीद तो यही है, और अगर नहीं आई तो हर साल की तरह इस साल भी अकेले रह लूंगा।
मैं: ऐसे कैसे अकेले रह लोगे! आपकी परी है ना हमेशा आपके साथ रहेगी।
फिर पापा मुझे गले लगा लिए और उसके बाद वह बाजार चले गए करवा चौथ के लिए सामान लेने, और मैं खाने की तैयारी करने लगी। इसी तरह सुबह से शाम हो गई, और मम्मी अब तक वापस नहीं आई।
हम लोग सुबह तक इंतजार किये और फिर पापा ने मम्मी से कॉल पर बात भी की, तो मम्मी ने बोला कि वह नहीं आ सकती। पापा गुस्से में कॉल काट दिए और घर से बाहर चले गए।
मैं खाना बनाई और पापा का राह देखने लगी कि वह कब आएंगे। आज करवा चौथ था तो आस पड़ोस की सभी महिलाएं इसकी तैयारी में जुटी हुई थी। सभी लोग हाथों पर मेहंदी लगा रही थी। मैं पड़ोस में वहां के आंटियों की हाथों पर मेहंदी लगा रही थी, और मैंने भी अपने हाथों पर मेहंदी लगा ली। तभी एक आंटी बोली-
आंटी: अरे प्रिया, तेरी तो भी शादी ही नहीं हुई है। तू क्यों हाथों में मेहंदी लगा रही है?
प्रिया: अरे आंटी हाथों में मेहंदी लगाने से शादी का क्या लेना-देना?
आंटी: यह बात भी ठीक है बेटी, चलो आज से ही तुम दुल्हन बनने की तैयारी कर लो। एक ना एक दिन तो बनना ही है।
और सभी महिलाएं हंसने लगी। फिर मैं उठ कर अपने घर चली आई। सुबह से शाम हो गई। मेरे हाथों की मेहंदी सूख चुकी थी। मैं उसे धोई तो मेरे हाथ लाल हो चुके थे। मैं पापा के इंतजार कर रही थी, पर वह अभी तक नहीं लौटे थे। जब अंधेरा होने लगा तब पापा बाहर से आते दिखे। मैं गेट पर उदास बैठी थी।
पापा: बेटी तुम यहां बैठ कर क्या कर रही हो। चलो अंदर चलते हैं।
मैं पापा के गले लग गई और उनसे बोली-
मैं: आप मुझे छोड़ कर कहां चले गए थे? जाओ मैं आपसे बात नहीं करुंगी।
पापा मुझे गोद में उठा कर घर में लेकर आए।
पापा: मेरी बेटी मुझसे नाराज हो गई। मुझे माफ कर दो।
मैं: आज आपने कुछ खाया भी नहीं और ना ही मैंने।
पापा: अरे मैं तो तुम्हारी मां की वजह से गुस्से में था। तो आज नहीं खाया तुमने, क्यों नहीं खाई?
मैं: मैं आपके लिए करवा चौथ का व्रत रखी हूं।
पापा: लेकिन बेटी यह तो केवल पत्नी अपने पति के लिए रखती है।
मैं: आपने ही तो उस दिन मुझे अपनी दुल्हन बनाया था। तो क्या मेरा यह धर्म नहीं बनता कि मैं आपके लंबी उम्र के लिए व्रत रखूं?
मैं: चलो आप जल्दी से तैयार हो जाओ, मैं भी तैयार होकर छत पर चलते हैं। मुझे बहुत भूख लगी है, जल्दी से मेरा व्रत पूरा करो।
पापा: अच्छा ठीक है मेरी दुल्हन। चलो जल्दी से तैयार हो।
मैं दुल्हन की तरह उस रात तैयार हुई, और छत पर आ गई। चांद निकल चुका था, मेरे पापा भी आ चुके थे। मैं चांद देख कर अपना व्रत पूरा करने लगी, कि तभी बगल की आंटी बोली-
आंटी: अरे हरेंद्र तुम्हारी पत्नी तो मायके गई थी। यह कब वापस आई?
पापा: अरे शाम को वापस आई है।
मैं दूसरी तरफ फेस की हुई थी, ताकि आंटी देख ना ले। मैं जल्दी से अपना व्रत पूरा की और पापा के हाथ से पानी पीकर नीचे चली आई। फिर हम दोनों ने खाना खाया। पापा की चेहरे पर एक अलग मुस्कान थी वह बहुत खुश लग रहे थे।
पापा: मेरी परी आज एक-दम दुल्हन की तरह लग रही हो।
मैं: हां तो क्या विचार है मेरे दूल्हे का?
पापा: और क्या विचार होगा, चलो आज दुल्हन के साथ सुहागरात मनाते है।
और फिर पापा मुझे गोद में उठाये, अपने कमरे में लेकर आ गए। मैं कमरे को भी सजा दी थी सुहागरात की तरह, और उस पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछा दी थी। मैं बेड पर नई नवेली दुल्हन की तरह बैठ गई। पापा रूम के डेकोरेशन देख कर बहुत खुश हुए, और मेरे पास आकर बैठ कर और मेरे घूंघट को उठाते हुए मेरे होंठ को चूम लिये।
पापा मेरे होंठ को चूमते हुए मुझे नीचे लिटाये और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे बदन को चूमने लगे। एक-एक करके मेरे बदन के सारे कपड़े उतार दिए, और मेरे गोरे बदन के हर हिस्से को चूमने लगे। मेरी मुलायम गोल-गोल चूचियों को मुंह में भर कर पीने लगे।
मैं: आहहह पापा ऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह चूसो… आअह्ह्ह…
पापा लगातार मेरे गोरे बदन को चूम रहे थे। वह मेरी जांघो को चूमने लगे। एक-एक करके खुद की कपड़े भी उतार दिए, और उनका लंड झूलता हुआ मेरे सामने आ गया। मैं हाथ से पकड़ के सहलाने लगी और वह मेरे चेहरे को चूमने लगे।
पापा मेरे पैरों को फैलाये और जीभ लगा कर मेरे गोरी चूत को चूसने लगे। कई दिनों से मेरे पापा ही मेरी चूत की प्यास बुझा रहे थे, और आज फिर से उनका लंड मेरे चूत में जाने वाला था। मैं उठ कर बैठी और पापा के बदन के हर हिस्से को चूमने लगी। पापा के चेहरे, सीने, पेट और जांघों से होते हुए उनके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
पापा आंखें बंद करके मगन में थे, और मैं उनकी लंड को चूस रही थी। फिर मैंने अपने पैर फैलाए, और पापा के लैंड पर बैठ गई। उनका लंड धीरे-धीरे होते हुए मेरी चूत में जाने लगा। मैं अपने हाथ को पापा के सीने पर रख कर उनके लंड को अपनी चूत में ले ली, और अपने होंठ को उनके होंठ से लगा कर चूसते हुए चुदवाने लगी। पापा भी नीचे से धक्के लगा रहे थे, और मेरी चूत चोद रहे थे।
फिर पापा मुझे नीचे लिटाये और मेरे ऊपर आकर, अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर चोदने लगे। मैं अपने दोनों पैर को उनके कमर में लपेट ली और उनसे चुदाती रही। वह मेरे स्तनों को दबाते हुए मेरे होंठों को चूस रहे थे और धीरे-धीरे चोद रहे थे। मेरी छोटी सी गुलाबी चूत पापा के लंड के हर धक्के को सह लेती और पानी छोड़ती। आज पापा की दुल्हन बन कर चुदने में मुझे खूब मजा आ रहा था।
पापा कई तरीकों से चोदते हुए मेरी चूत में झड़ गए, और मेरे ऊपर लेट कर हांफने लगे। हम दोनों की सांस काफी तेज चल रही थी। उस रात पापा मुझे अपनी दुल्हन बना कर पूरी रात चुदाई की। इसके दो दिन बाद मम्मी और मेरे भाई वापस आ गए और मेरे और पापा की चुदाई बंद हो गई। कुछ दिनों बाद तो पापा शहर में काम करने के लिए वापस चले गए।
पापा ने जो मेरी शानदार चुदाई की थी सुहागरात की तरह, वह याद मेरी जीने के लिए काफी थी।