पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-4
हेलो दोस्तों, आप सभी को मेरा नमस्कार। मैं अमित एक बार फिर से हाजिर हूं अपनी दीदी की कहानी लेकर। आप सभी ने मेरी अभी तक की कहानी में अपना बहुत प्यार दिया। मैं उम्मीद करता हूं इस बार मेरी कहानी पढ़ कर आपके लंड से बचा हुआ पानी भी निकाल जाएगा। दोस्तों मैं आपको ज़्यादा बोर ना करते हुए अपनी कहानी बताना शुरू करता हूं। अब आगे-
अगले दिन मैं अपने दोस्तों के साथ घूम के घर में आता हूं। मुझे भुख लगी हुई थी, तो सोचा किचन में जाने से पहले अपने हाथ पैरों को धो लेता हूं। फिर मैं बॉथरूम की तरफ गया। तब देखा मेरी दीदी पूरी नंगी खड़ी हुई अपने बदन पर लगा हुआ साबुन पानी से साफ कर रही थी। दीदी की चूचियों पर सलीम के लगे हुऐ दांतों के निशान थे। वो बता रहें थे कि उन्हें कितनी बेदर्दी से चूसा गया था। और मैंने देखा दीदी की चूत के होंठ जो कल तक आपस में चिपके हुए थे। आज उस चूत के होंठ खुल चुके थे।
चूत के अंदर की लाल दीवार पूरी नज़र आ रही थी, और चूत कुछ ज़्यादा ही सूजी हुई थी। दीदी नहाने के बाद एक छोटे से टॉवेल से अपने को पोंछ रही थी। जब उनका हो गया, तो मैं उनके बाहर निकलने से पहले घर के आंगन में आकर बैठ गाया। थोड़ी देर बाद मेरी दीदी बॉथरूम से नंगी ही बहार आंगन में आ जाती हैं। मुझे यहां देख के अपने एक हाथ से चूची और एक चूत को कवर करते हुएं दीदी बोली: अमित तुम बाहर से कब आए?
मैं बोला: दीदी मैं तो अभी घर आया हूं। पर दीदी यह मम्मी कहा गई?
दीदी मुस्कराते हुएं बोली: वो अपनी दवाई लेने गई है।
फिर दीदी अपनी गांड मटकाते हुई अपने कमरे में चली जाती है, और कुछ देर बाद तैयार होके आती हैं।
फिर उनके साथ खाना खाते हुएं मैं बोला: दीदी वैसे यह मम्मी को क्या हुआ है, जो दवाई लेने गई है?
दीदी: पाता नहीं भाई, पर मैं भी इस बात का पता लगा रही हूं। अमित अगर तुम्हें कुछ पता लगे तो मुझे जरूर बताना।
यह बात सुन कर मैं सोचा मेरी दीदी मम्मी की बात जान कर क्या करेंगी? फिर मैंने मम्मी पर नज़र रखनी शुरू की। कुछ दिन में मुझे पता लगा वह किसी से फोन पर बात करती थी। पर किससे करती इसका पता नहीं चल रहा था। मम्मी पर नज़र रखते हुऐ मैं दीदी पर भी नज़र बनाएं हुऐ था। इतने दिनों में मेरी दीदी की भी चुदास बढ़ चुकी थी। दीदी हर रोज सलीम से मिलने के लिए कोई ना कोई बहाना ढूंढ रही थी। एक सुबह मैंने दीदी को मम्मी से बात करते हुएं सुना।
दीदी बोली: मम्मी वो मेरी सहेली पिंकी है ना आज उसका बर्थडे है। उसके लिए मुझे अभी जाना है।
मम्मी बोली: बेटी पर बर्थडे तो रात को सेलिब्रेट होता हैं। अभी जा कर क्या करना है?
दीदी: मम्मी उसको शॉपिंग करनी हैं, तो मुझे अभी बुलाया है। शाम तक आ जाऊंगी।
मम्मी कुछ सोची फिर मुस्कराते हुएं बोली: ठीक है, पर अमित को भी साथ ले जाना और आने से पहले मुझे फोन कर लेना।
दीदी बोली: क्या मम्मी, आप हर बार अमित को मेरे साथ भेज देती हो। मुझे सहेली के साथ एंजॉय करने में मजा नहीं आता।
मम्मी बोली: बेटी अमित भी तुम्हारे साथ एंजॉय कर लेगा, अब उसके बिना तो मैं तुम्हे नहीं जाने दूंगी।
फिर दीदी मेरे पास मुस्काते हुए आई और मुझे तैयार होने को बोल के खुद भी तैयार होने लगी। थोड़ी देर बाद हम लोग तैयार होके आंगन में आते है। मम्मी भी आंगन में ही बैठी हुई थी।
वो दीदी को देखते हुए मम्मी मुझे बोली: अमित बेटा तुम अपनी दीदी पर थोड़ी नज़र रखना।
दीदी बोली: क्या मम्मी आप मुझ पर हमेशा शक करती हो।
मम्मी: बेटी तुम अब जवान हो गई हो। मेरा तुम पर शक करना लाजमी है। ठीक है अभी तुम जाओ मुझे भी ऑफिस जाना है।
फिर थोड़ी देर में हम घर से निकल जाते हैं। घर से थोड़ी दूर जाने के बाद मेरी दीदी रास्ते में अपने चेहरे को दुपट्टे से कवर कर लेती हैं। फिर दीदी किसी को फोन लगा कर बोलती हैं, “हां बाबू में पहुंचने वाली हूं।” इतना बोल के फोन रख देती हैं। थोड़ी देर बाद हम चौंक पर पहुंच जाते हैं। इधर कुछ देर खड़े रहने के बाद मुझे कुछ समझ नहीं आता। फिर मैं उनसे ही पूछ लेता हूं।
मैं बोला: दीदी हम यहां क्यों खड़े हैं?
दीदी बोली: अमित तुम्हे मेरे साथ जाना है तो चुप रहना होगा, और जैसा मैं बोलूं वैसा ही करना होगा।
इस बात से मैं समझ गया कि दीदी आज कुछ गड़बड़ करने वाली थी। फिर थोड़ी देर बाद हमारे सामने एक कार आके रुक जाती है। उसके अंदर बैठे सलीम को देख कर मैं समझ गया कि दीदी अपनी चूत की खुजली मिटाने जा रही हैं। मेरी दीदी मुझे पीछे वाली सीट पर बैठ ने को बोलती हैं। फिर दीदी आगे वाली सीट पर बैठ कर अपने चेहरे का नकाब उतर देती है। फिर सलीम दीदी की तरफ अपनी बाहों को फैला देता है। मेरी दीदी भी बिना शर्म के उसे लिपट कर उसके होठों पर एक जोरदार किस्स कर लेती हैं।
फिर दोनों किस्स करने के बाद अलग होते है। दीदी मेरी तरफ देख कर सलीम से शर्माने लगती है, और उसे कार चलने को बोलती हैं। सलीम अपना एक हाथ दीदी की जांघों पर फेरते हुए-
सलीम बोला: क्या बात है मेरी जान, लगता हैं घर से ही गर्म होके आई है।
दीदी बोली: हां, अगर आपने लेट क्या तो शायद मैं यही पिघल जाऊंगी।
सलीम बोला: मेरी जान सबर कर, तुझे तो मैं आज आगे-पीछे से निचोड़ दूंगा।
1 घंटे बाद सलीम कार को एक बड़े से फॉर्महाउस पर रोक देता है। फिर सलीम हमें अंदर ले जाता है, और बड़े से हॉल में बिठा देता है। जहां मुझे कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। फिर सलीम हमारे सामने खाने-पीने को रख देता है। कुछ नाश्ता करने के बाद मेरी दीदी बॉथरूम में चली जाती हैं, और थोड़ी देर बाद एक लाल मस्त साड़ी पहन कर आती है। मेरी दीदी ने ऊपर सिर्फ़ लाल ब्रा पहना था। दीदी को देख कर मेरे भी होश उड़ गए। मैं दीदी को ऊपर से नीचे तक घूर कर देखने लगा। मैंने देखा तो सलीम अपने दातों से होंठ चबा रहा था।
सलीम बोला: वाह मेरी जान, तुम तो अपने इस रूप से मेरा दिल ही जीत लेती हो।
दीदी पीछे पलटी तो मुझे और सलीम को दीदी की दूध सी सफेद पीठ और लाल सारी में बंधी उनकी उभरी हुई गांड दिख रही थी। उनकी पीठ पर लाल ब्रा का स्ट्रैप बहुत सेक्सी लग रहा था। सलीम से रहा नहीं गया। तब मेरे सामने ही दीदी को अपनी गोद में उठा कर एक किस्स करते हुए सलीम बोला: मेरी जान अब मेरे से रहा नहीं जा रहा।
दीदी (मेरे से): अमित तुम थोड़ी देर यहीं टीवी देखो। मैं सलीम जी के साथ मस्ती करके आती हूं।
सलीम बोला: हां अमित टीवी का वॉल्यूम थोड़ा ऊंचा रखना।
फिर सलीम दीदी को अपनी गोद में लेकर कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद मैंने टीवी का वॉल्यूम तेज किया। फिर उनके कमरे के बाहर गया तो मैंने देखा सलीम ने जल्दी में गेट पूरा बंद नहीं किया था। फिर मैंने उस हल्के खुले गेट से अंदर देखा। तब सलीम मेरी दीदी को अपनी गोदी में बिठा कर उसके रसीले होंठो को चूस रहा था। मैंने ध्यान दिया तो मुझे उनकी चुम्मा-चाटी की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
सलीम का एक हाथ दीदी के बूब्स पर था, और दूसरा हाथ उनकी पीठ को सहला रहा था। दीदी भी सलीम के कुर्ते को अपने हाथ से पकड़ कर कर उसको किस्स में साथ दे रही थी। सच कहूं तो सलीम से ज़्यादा आग तो मेरी दीदी में लगी हुई थी। वो ख़ुद सलीम को उत्तेजित कर रही थी। मेरी बहन का ऐसा रंडी रूप देख कर मुझे थोड़ा गुस्सा आया, पर मैंने महसूस किया कि अब मेरा लंड ये नजारा देख कर हरकत कर रहा था। दीदी मैं लगी आग को देख कर सलीम अब अपनी औक़ात पर आने लगा। वो दीदी के साथ रंडी वाला बर्ताव करने लगा।
सलीम बोला: साली रांड, तेरी जवानी कितनी आग पकड़ रही है। मैंने सोचा नहीं था कि तू मेरे से चुदने के लिए पागल बनेगी।
दीदी बोली: सलीम जी आप ने मुझे कली से फुल बना दिया है। अब मेरी जवानी आप पर कुर्बान करती हूं।
सलीम बोला: क्यों मेरी जान? मेरे ऊपर इतनी मेहरबानी की वजह?
दीदी बोली: जब से आप का मूसल लंड का स्वाद चख लिया है, मैं नहीं मानती आप जैसा तगड़ी चुदाई करने वाला मुझे और कोई मिल सकता है। आज मम्मी से झूठ बोल कर आपसे चुदने आयी हूं। मेरी चूत कब से आपका मोटा लंड लेने को तरस रही है।
सलीम (दीदी के बालों को खींच कर): ऐसा हैं तो रंडी तैयार होजा, आज तेरी चूत और गांड दोनों मैं बड़ा दर्द दूंगा।
दीदी बोली: अब बाते ही करते रहेंगे कि मुझे ठंडा भी करोगे?
दीदी का इतना कहते ही सलीम ने दीदी को खड़ा किया और उसकी सारी का पल्लू नीचे गिरा दिया। मैंने देखा तो दीदी ने हाफ कप ब्रा पहना था। जिसमे उनके आधे से ज़्यादा चूचे बाहर निकले हुए थे। उसके बाद सलीम ने दीदी की पूरी साड़ी खींच कर निकाल दी। दीदी ने नीचे लाल रंग का पेटीकोट पहना था। दीदी सलीम के सामने बेशर्म होकर नाच रही थी। वो उसके बूब्स और गांड दिखाते हुवे उसका जिस्म दिखा रही थी।
सलीम दीदी के पास गया और उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। दीदी का पेटीकोट उसके पैरो में गिर गया। दीदी अपनी गांड मटकाते हुवे अपने पैरों से पेटीकोट निकाल कर सलीम से लिपट गई। मैंने देखा सलीम दीदी के होठों को चूसते हुवे उसकी गांड को पेंटी के ऊपर से सहला रहा था।
दीदी ने अब सलीम का कुर्ता ऊपर करके निकाल दिया और उसके पैजामे का नाड़ा खोल कर उसके घुटनों में बैठ गई। सलीम का लंड स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया। दीदी उसके काले लंबे मूसल लंड को अपने गाल पर लगा कर उसकी गर्मी को महसूस करने लगी। उसके बाद दीदी ने सलीम की आंखों में देखा और उसको एक नॉटी स्माइल देकर उसके लंड को मुंह में रख कर चूसने लगी।
दीदी के नरम होठ लगने से सलीम के शरीर में एक लहर उठी। सलीम ने अपनी आंखें बंद करके ऊपर की तरफ़ देखा, और उसके मुंह से याह अल्लाह निकल गया। मैंने देखा दीदी एक रंडी की तरह उसके मूसल लंड को चूस रही थी, और सलीम उसके मुंह की चुदाई कर रहा था। थोड़े समय बाद सलीम ने दीदी को उसके बालों से खींच कर खड़ा किया, और उसके होठों को बेरहमी से काटने लगा।
इतना सब कुछ होने के बाद भी दीदी के चेहरे पर मुस्कान थी। वो सलीम का हर एक जुल्म हस्ते हुए सह रही थी। अब सलीम ने उसके हाथ पीछे लेकर दीदी की ब्रा को खोल दिया, और उसको दीदी से जिस्म से अलग करके फेंक दिया। दीदी अब ऊपर से नंगी होकर खड़ी थी। सलीम अब उसके गुलाबी निपल को छोटे बच्चे की तरह चूस रहा था।
दीदी सलीम के बालों में हाथ सहलाते हुए बोली: सलीम जी ऐसे ही चूसते रहिए मेरी ये नरम चूचियां। आप का ये मर्दाना हाथ मेरी चूचियों को मसल रहा हैं उसमे बहुत मजा आया है।
सलीम दीदी के बूब्स को दबाते हुए बोला: मुझे भी तेरे जैसी कमसिन लड़की को औरत बनाने में मजा आता है।
दीदी: आज मुझे आपकी औरत बना दीजिए सलीम जी। मैं आप जब कहोगे तब आपकी रंडी बन कर चुदवाया करूँगी। अब और रहा नहीं जाता । प्लीज़ मुझे अब चोदो।
दोस्तों अगला पार्ट जल्दी आयेगा। यहां तक कि कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।